कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी में विचरण करता दिखा बाघ
डेहरी ऑनसोन। रोहतास। कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र कशिश जलप्रपात के समीप पर्यटकों को भ्रमण के दौरान एक बाघ दिखा। पर्यटक मनीष कुमार सिंह ने तत्काल इसकी सूचना वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रद्युम्न गौरव को दी। डीएफओ के निर्देश पर शुक्रवार को रेंजर बृजलाल मांझी दल बल के साथ कशिश जलप्रपात पहुंचे जहां 13 इंच लम्बा बाघ का पग मार्क दिखाई दिया।
डेहरी ऑनसोन। रोहतास। कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र कशिश जलप्रपात के समीप पर्यटकों को भ्रमण के दौरान एक बाघ दिखा। पर्यटक मनीष कुमार सिंह ने तत्काल इसकी सूचना वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रद्युम्न गौरव को दी। डीएफओ के निर्देश पर शुक्रवार को रेंजर बृजलाल मांझी दल बल के साथ कशिश जलप्रपात पहुंचे, जहां 13 इंच लम्बा बाघ का पग मार्क दिखाई दिया।
पर्यटक मनीष ने बताया कि कशिश बड़ा ही रमणीय स्थल है। वे अपने परिवार व मथुरी पंचायत के सरपंच सत्येंद्र सिंह के साथ घूमने गए हुए थे। झरने के पास जंगल में विचरण करते हुए बाघ दिखाई दिया। वे लोग वहां से भयवश भाग निकले और इसकी सूचना डीएफओ को दी। डीएफओ ने बताया कि लॉकडाउन के समय में जंगल में 21 ऑटोमेटिक कैमरे लगाए गए थे। उसमें भी बाघ के चित्र आए हैं। इसलिए इन स्थलों पर बाघ का विचरण करना कोई नई बात नहीं है। यह स्वाभाविक है कि जहां पीने का पानी की व्यवस्था रहती है, वहां वन्य पशु दिखते ही हैं। कहा कि बाघ अक्सर रात में विचरण करते हैं, दिन में यहां बाघ दिखना अचरज का विषय है। यह क्षेत्र वैसे भी काफी शांत व मानव रहित रहता है, इसलिए दिन में बाघ जंगल में निकला होगा। रेंजर ने बताया कि कैमूर पहाड़ी के कशिश जलप्रपात के ऊपर के गांव कछुअर, चाकडीह में भी एक सप्ताह पूर्व बाघ देखने की सूचना ग्रामीणों द्वारा दी गई थी, जिसके पग मार्क भी मिले हैं। इस जंगल में बाघ का होना सुखद बात है। इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। बताते चलें कि डीएफओ द्वारा इस वन्य पशु आश्रय स्थल को टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित करने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार एवं मुख्य वन संरक्षक पटना को पत्र भी भेजा गया है।