शोभा की वस्तु बनी जलमीनारें, पानी के लिए लोग परेशान
अगले माह से गर्मी दस्तक देने लगेगा। लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक पेयजल की उत्पन्न होने वाली विकट स
अगले माह से गर्मी दस्तक देने लगेगा। लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक पेयजल की उत्पन्न होने वाली विकट समस्या से निबटने को ले कोई ठोस व कारगर कदम उठाना शुरू नहीं किया गया है। जिला मुख्यालय के दो लाख से अधिक आबादी को शुद्ध पेयजल को ले अब भी इंतजार है। शहरवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के अधिकारियों और नेताओं के तमाम दावें अब तक खोखले साबित हुए हैं। करोड़ों खर्च कर 12 वर्ष पूर्व बनी दो जलमीनारों से अब तक लोगों को एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हुआ। बार-बार आश्वासनों के बावजूद इस समस्या का अब तक निराकरण नहीं हो पाया है। शहरी क्षेत्र में जनता की प्यास बुझाने के लिए तैयार दोनों जलमीनार अनुपयोगी साबित हो रही है। कमोबेश यही स्थिति परसथुआं, तिलौथू समेत जिले के अन्य शहरों व गांवों में बने जल मीनारों की है। जिसमें से आज तक कई जल मीनार से पानी लोगों को नसीब नहीं हो पा रहा है। निर्देश के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई :
मुख्यमंत्री के सात निश्चय के तहत शुद्ध पेयजल उपलब्धता सुनिश्चत करने के निर्देश के बाद भी अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंग रहा है। द्वितीय चरण के तहत सात वर्ष पहले बौलिया रोड व सदर अस्पताल में दो जलमीनार का निर्माण किया तो गया लेकिन अभी तक इन जल मीनारों से पानी लोगों तक नहीं पहुंचाया जा रहा है। पूरे तामझाम के साथ तामझाम के साथ 12 अगस्त 2008 को तत्कालीन पीएचईडी मंत्री प्रेम कुमार ने इसका उद्घाटन किया था। बौलिया रोड टावर में रिसाव व सदर अस्पताल टावर से जुड़ी मेन पाइप लाइन में कई स्थानों पर लीकेज के कारण पेयजलापूर्ति की यह योजना एक तरह से ठप है। करोड़ों हुआ खर्च :
शहर के सभी घरों में पेयजल पहुंचाने को लेकर 877.41 लाख की राशि खर्च कर द्वितीय चरण की पेयजलापूर्ति योजना पर कार्य हुआ था। इसके तहत दो वाटर टावर टैंक, करवंदिया से सासाराम तक तीन मेन राइजिग पाइप लाइन, तीन बोरिग पंप स्टेशनों के अलावा 15 किलोमीटर जल वितरण की पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया जाना था। बावजूद इसके काम धरातल पर नजर नहीं आया। पानी को टावर तक पहुंचाने का भागीरथ प्रयास का असर अब तक नहीं दिखा। विभागीय दावे में कार्य पूरा हो चुका है लेकिन नल से पानी की बूंद नहीं गिर रही है। तकनीकी अदूरदर्शिता के कारण हो रही परेशानी :
द्वितीय चरण योजना के तहत शहर में बने दो जलमीनारों में पानी चढ़ाने में कठिनाई हो रही है। पीएचईडी अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी गड़बड़ी पकड़ में आ गई है। शीघ्र ही इसका निदान कर लिया जाएगा। विधायक का पहल भी नहीं आया काम नहीं आया है। स्थानीय राजद विधायक ने इस समस्या के निदान के लिए पूर्व में पीएचईडी अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी। जिसमें अधिकारियों ने एक माह के अंदर तकनीकी समस्या दूर कर जलमीनार से पेयजल आपूर्ति करने का भरोसा दिलाया था। लेकिन अभी तक मामला ढाक के पात साबित हुआ।