अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेंगे जिले के 10 किसान
रोहतास। धान की फसल तैयार होने वाली है। अगले महीने के आखिर में कटाई शुरू हो जाएगी। फसल कटाई के बाद
रोहतास। धान की फसल तैयार होने वाली है। अगले महीने के आखिर में कटाई शुरू हो जाएगी। फसल कटाई के बाद किसान कृषि अवशेष को खेतों में ही जला देते हैं। जिससे भूमि की उपजाऊ क्षमता लगातार घट रही है। भूमि में 80 फीसद तक नाइट्रोजन, सल्फर व 20 फीसद अन्य पोषक तत्वों के साथ मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं। राज्य सरकार ने इसके दुष्परिणामों से किसानों को अवगत कराने के लिए पटना के ज्ञान भवन में 14 व 15 अक्टूबर को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया है, जिसमें जिले के पराली जलाए जाने वाले क्षेत्रों से संबंधित 10 किसान भाग लेंगे। तीन प्रखंडों के 10 किसान होंगे शामिल:
सरकार के निद्रेश पर आत्मा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने वाले किसानों की सूची निदेशक बामेती पटना को उपलब्ध करा दी गई है। आत्मा के निदेशक डॉ. विजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि जिले के पराली जलाए जाने वाले क्षेत्रों से संबंधित तीन प्रखंडों के 10 किसानों की सूची बामेती को उपलब्ध करा दी गई है, जिसमें शिवसागर व दिनारा के तीन-तीन और करगहर व कोचस के दो-दो किसान शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सेमिनार में पराली जलाने से होने वाले दुष्परिणाम व रोकथाम पर चर्चा होगी। सेमिनार में डीएओ राधारमण व आत्मा निदेशक भी शामिल होंगे। अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल होने वाले किसानों में शिवसागर प्रखंड के पताढ़ी निवासी राजेंद्र चौधरी, अशोक कुमार सिंह व पड़री निवासी रजनीश पटेल, दिनारा के मिल्की निवासी अशोक कुमार पांडेय, खनिता निवासी बिहारी शरण दूबे व दिनारा निवासी सुरेंद्र पांडेय, करगहर के रीवां निवासी राजीव राय व कालिका राय तथा कोचस प्रखंड के नवानगर निवासी अक्षय सिंह व अशोक सिंह शामिल हैं। कोर्ट ने भी दिया है सुझाव:
पंजाब सरकार द्वारा गत दिनों पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाने के निर्णय को ले गत माह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि पराली से निपटने के कई साधन हो सकते हैं। इसे कोयले की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे गत्ता बनाया जा सकता है और इसका ऊर्जा के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस सबके लिए सरकार पराली किसानों से खरीद सकती है और इन कामों में इसका उपयोग हो सकता है। ऐसा करने से जब पराली से किसानों को मुनाफा होगा तो वे भी जलाने की बजाय इसे सुरक्षित रख बेचेंगे। किसानों की भी अपनी है मजबूरी:
ऐसा नहीं है कि किसानों को इससे होने वाले नुकसान की जानकारी नहीं हैं। लेकिन किसानों की मजबूरी यह है कि अगली फसल की तैयारी के लिए समय कम होता है, तो दूसरी तरफ पराली को इकट्ठा करने में खर्चा भी आता है और इकट्ठा करके इसका क्या किया जाए, यह भी किसानों के लिए समस्या है। किसानों की मानें तो, इसके अलावा पशुओं की घटती संख्या के चलते भी पराली समस्या बनी हुई है।