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स्वच्छता अदालत में खुले में शौच पर पंच परमेश्वर ने सुनाया फैसला

शनिवार का दिन किसी के लिए शुभ साबित हुआ, तो किसी के लिए खराब।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Sep 2017 03:06 AM (IST)Updated: Sun, 10 Sep 2017 03:06 AM (IST)
स्वच्छता अदालत में खुले में शौच पर पंच परमेश्वर ने सुनाया फैसला
स्वच्छता अदालत में खुले में शौच पर पंच परमेश्वर ने सुनाया फैसला

रोहतास। शनिवार का दिन किसी के लिए शुभ साबित हुआ, तो किसी के लिए खराब। जहां व्यवहार न्यायालय में राष्ट्रीय लोक अदालत लगा वर्षों से लंबित मुकदमों को पक्षकारों की सहमति के बाद निबटाने का कार्य किया गया, वहीं पंचायतों में स्वच्छता अदालत आयोजित कर खुले में शौच करने वालों को दंडित भी किया गया। मिशन ओडीएफ के तहत पहली बार लगी स्वच्छता अदालत से गांवों का नजारा बदला- बदला सा दिखा। उस वक्त वैसे लोगों का सिर शर्म से झूक गया, जब पंच परमेश्वरों ने खुले में शौच करने के आरोप में उन्हें सजा सुनाई।

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सत्याग्रह केंद्र पर लगाई गई स्वच्छता अदालत :

सासाराम के समरडीहां, मोकर, आकाशी, करूप, गंसाडीह, रामपुर, नहौना, करवंदिया, अमरी, धनकढ़ा, धौदाड़, भदोखरा, सिकिरयां, दरिगांव, बेलाढ़ी, उचितपुर, महद्दीगंज, मुरादाबाद व करसेरूआं पंचायत के सत्याग्रह केंद्र पर स्वच्छता अदालत लगाई गई। बीईओ सह नोडल पदाधिकारी भीम ¨सह की मौजूदगी में सिकरियां में आयोजित स्वच्छता अदालत में पहले दिन चार मामलों को निष्पादित किया। जिसे दप्रसं की धारा 133 के तहत दंडनात्मक कार्रवाई के लिए अनुमंडल दंडाधिकारी के यहां अग्रसारित किया गया।

अपने नाम पर पौधा लगाने व उसकी देखभाल की मिली सजा :

नोडल पदाधिकारी की माने तो जिन लोगों के मामले में फैसला सुनाया गया, उनमें सोनगांवा के दसई राम, भीम राम, रामअवतार राम व संतोष पासवान शामिल थे। इन्हें दंड स्वरूप अपने नाम पर पौधा लगाने व उसकी देखभाल करने का भी आदेश पीठ द्वारा पारित किया गया। इसी तरह प्रखंड के अन्य पंचायतों में भी खुले में शौच से संबंधित मामलों की सुनवाई हुई।

खुले में शौच करने वालों की बदलेगी सोच :

डीएम अनिमेष कुमार पराशर की माने तो स्वच्छता अभियान को धत्ता बताने वालों से हर हाल में सख्ती से निबटा जाएगा। प्रत्येक शनिवार को लगने वाली स्वच्छता अदालत के माध्यम से दंडित कर खुले में शौच करने वालों की सोच बदली जाएगी। छह सदस्यीय पीठ द्वारा दोषी पाए लोगों एक हजार रुपये अर्थदंड के अलावा उनका नाम काले अक्षर में सत्याग्रह केंद्र, विद्यालयों व प्रखंड कार्यालयों पर लिखे जाने तथा पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से उन्हें एक वृक्ष लगाने की सजा दी गई। जुर्माना की राशि जमा नहीं करने पर विधि सम्मत राशि वसूली की भी कार्रवाई की जाएगी।


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