रोहतास के गांव में डायरिया का प्रकोप! भाई-बहन की मौत, दो बच्चों समेत मां की भी हालत नाजुक; कई ग्रामीण बीमार
Bihar रोहतास के सोनी गांव में दस्त और उल्टी से बच्चों समेत कई ग्रामीण बीमार पड़ गए हैं। एक ही परिवार के दो बच्चों की मौत हो गई। मेडिकल की टीम ने बीमार बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाया है।
संवाद सूत्र, संझौली (रोहतास)। संझौली के सोनी गांव में एक ही परिवार के दो बच्चों की मौत हो गई। जबकि एक भाई और बहन की हालत नाजुक बनी हुई हैं। मासूमों की मां की भी हालत चिंताजनक है।
सोनी गांव में 12 से अधिक ग्रामीण भी बीमार हैं। गांव में अचानक हो रही मौत से लोगों में दहशत कायम है। वहीं, आशंका जताई जा रही है कि लोग डायरिया की वजह से बीमार पड़ रहे हैं।
ग्रामीणों बताया कि दोपहर में बीडीओ सरफराजूदिन के निर्देश पर पहुंची मेडिकल टीम ने दोनों बीमार बच्चों को अनुमंडलीय अस्पताल बिक्रमगंज भेजवाया। वहीं, बीमार ग्रामीणों का इलाज संझौली और बिक्रमगंज के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।
इधर, गांव में पहुंची मेडिकल की टीम इसे डायरिया बता रही है। गांव के बच्चे अधिक बीमार हो रहे हैं। सबसे अधिक मासूमों को ही उल्टी और दस्त की शिकायत है।
ग्रामीणों ने बताया कि 24 मई को दोपहर अचानक नागेंद्र सिंह के 10 साल के बच्चे की तबियत बिगड़ गई। उल्टी और दस्त होने के कारण मासूम की मौत हो गई। वहीं, 25 मई को नागेंद्र की दो साल की बेटी सोना भी चल बसी।
मृतक सोनी का जुड़वा भाई शिवशंकर और चार साल की खुशी को भी दस्त की शिकायत है। ग्रामीणों ने चंदा इक्कठा कर दोनों बच्चों को अस्पताल भेजवाया लेकिन अब भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं है।
पीएचसी के प्रभारी डॉ सुधीर कुमार, डॉ सागर कुमार के साथ पहुंची मेडिकल टीम बीमार बच्चों का इलाज कर रही है। सिविल सर्जन सीएस केन तिवारी के निर्देश पहुंची मेडिकल टीम ने बीमार बच्चों का प्राथमिक इलाज करा उन्हें अनुमंडलीय अस्पताल बिक्रमगंज में रेफर किया।
गांव के दूसरे परिवार के बिक्रमा सिंह का 12 साल का बेटा अंकुश और आठ साल का मंकुश, 50 साल की राम कुमारी देवी, प्रदीप कुमार, चार साल की वर्षा कुमारी, शिववर्ती देवी सहित एक दर्जन लोग को तबीयत बिगड़ गई है।
घर जाकर जांच कर रही मेडिकल टीम
सभी का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। मेडिकल टीम ने उल्टी-दस्त से ग्रसित अन्य लोगों के घर भी जाकर जांच की। मेडिकल टीम के डॉ. सागर ने बताया कि प्रथम दृश्यता मासूमों के मौत का कारण डायरिया प्रतीत हो रहा है।
पैसा होता तो समय पर होता इलाज
ग्रामीण बताते हैं कि पैसों की कमी नागेंद्र के मासूमों की मौत पर भारी पड़ी। पैसा होता तो समय से इलाज हो गया होता। परिजनों ने बताया कि बच्चों की मां की हालत भी नाजुक बनी हुई हैं। वाराणसी के डॉक्टर कह रहें हैं कि स्थिति काफी खराब है।