समय से दाखिल नहीं हो रहा आरोप पत्र, जेल से छूट रहे नामजद
पुलिस की अकर्मण्यता की एक बानगी यह भी है। आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार किया ।
रोहतास। पुलिस की अकर्मण्यता की एक बानगी यह भी है। आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार किया जरूर, मगर 90 दिन के अदंर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जा सका। परिणाम स्वरूप आरोपित जमानत पर छूट गए। कई गंभीर मामलों में पुलिस की लापरवाही से अभियुक्तों को बाहर रहने से वे विधि व्यवस्था के लिए भी खतरा बने हुए हैं। सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में वर्दीधारियों की नीति और नीयत का फर्क दिखा रहा है।
सूचना के अधिकार के तहत दिनारा प्रखंड के बरुना निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नारायण गिरी ने गत एक मई 2017 से लेकर 30 अप्रैल 2018 तक की अवधि के दौरान अनुसंधानकर्ताओं की ओर से समय से आरोप पत्र दाखिल नहीं करने के कारण किन -किन थाना के आरोपितों को जमानत का लाभ मिला है, इसकी सूची उपलब्ध कराने की मांग की थी। इसके अलावा उक्त अवधि के दौरान कोर्ट से प्राप्त आदेश के आलोक में किस पर कार्रवाई की गई है इसकी भी जानकारी मांगी थी। एक माह के अंदर सूचना नहीं मिलने पर आरटीआइ कार्यकर्ता ने प्रथम अपीलीय पदाधिकारी सह शाहाबाद रेंज के डीआइजी के समक्ष अपील दायर की। डीआइजी के निर्देश पर लोक सूचना पदाधिकारी सह एसपी रोहतास ने गत आठ सितंबर को सूचना उपलब्ध कराई है। जिसमें बताया गया है कि 90 दिन में आरोप पत्र दाखिल नहीं किए जाने पर दरिगांव थाना में दर्ज एक मामले का नामजद अखिलेश कुमार, मॉडल थाना के आरोपित रौशन कुमार व चेनारी थाना के आरोपित असलम कुरैशी को जमानत का लाभ मिला। न्यायालय के आदेश के आलोक में पुलिस सब इंस्पेक्टर सतीश कुमार ¨सह, सहायक सब इंस्पेक्टर रवि किशोर यादव व प्रशांत कुमार डे पर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। आरटीआइ कार्यकर्ता के अनुसार सूचना अधिकार के तहत दी गई जानकारी अभी भी अधूरी है। क्योंकि जिन पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई चल रही है, उसके संचालन अधिकारी के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। बताते चले कि इससे पहले भी तत्कालीन एसपी मनु महाराज के कार्यकाल में अनुसंधानकर्ताओं की लापरवाही से कई नक्सलियों को भी जमानत का लाभ मिला था। जिस पर एसपी ने दोषी अनुसंधानकर्ता पर कार्रवाई की थी।