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    जंगली पशुओं के आतंक से आलू की खेती छोड़ रहे किसान, कोल्ड स्टोरेज की कमी बनी मुसीबत

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 07:16 PM (IST)

    तिलौथू प्रखंड में जंगली जानवरों के आतंक और कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण किसान आलू की खेती छोड़ने को मजबूर हैं। पहले यहाँ आलू की खेती बड़े पैमाने पर होती थी, लेकिन अब किसान नुकसान से बचने के लिए अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। किसानों ने कृषि पदाधिकारी से इस समस्या का समाधान करने की मांग की है।

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    जंगली पशुओं के आतंक से आलू की खेती छोड़ रहे किसान

    संवाद सूत्र, तिलौथू (रोहतास)। प्रखंड क्षेत्र में पहले आलू की खेती व्यापक पैमाने पर होती रही है, परंतु हाल के कुछ वर्षों में जंगली जानवरों के आतंक से किसान इसकी खेती करने से मुंह मोड़ने लगे हैं। अपनी फसल को सुरक्षित रख पाने के समुचित संसाधन भी किसानों के पास नहीं हैं। इतना ही नहीं जिन भागों में अभी किसान इसकी खेती कर भी रहे हैं, तो आलू को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण की भी व्यवस्था नहीं है।

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    वर्तमान में पूरे प्रखंड क्षेत्र में कहीं भी कोल्ड स्टोरेज नहीं है। कृषि प्रधान इस प्रखंड में पूर्व में कई नगदी फसलों की खेती किसान करते रहे हैं। आलू, गन्ना समेत इन व्यावसायिक फसलों को पैदा कर किसान अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करते थे। 

    इससे आलू की प्राथमिकता के आधार पर किया जाता रहा है, लेकिन जंगली जानवरों के आतंक से यहां के किसान प्रतिवर्ष अब आलू को घाटे का सौदा मान खेती का दायरा काफी कम कर चुके हैं। 

    कोल्ड स्टोरेज की कमी बनी मुसीबत

    किसान रामजी सिंह, ललन महतो, प्रदीप कुमार समेत कई किसानों का कहना है कि अगर इस क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज होता, तो उत्पादित आलू को उचित मूल्य पर बिक्री करने के लिए कोल्ड स्टोरेज में सुरक्षित रख देते, लेकिन यहां के किसानों की स्थिति यह है कि आलू खेत से निकलते ही उसी समय व्यापारी के हाथों बेचना पड़ जाता है। अधिक समय बाहर रखने से आलू बर्बाद हो जाता है। 

    प्रखंड क्षेत्र में दर्जन भर गांव में इक्का-दुक्का किसान ही अब आलू की खेती कर रहे हैं। पांच साल पहले तक इन गांवों में आलू की अच्छी पैदावार होती थी। जंगली जानवरों के चलते किसान आलू की खेती से लगातार मुंह मोड़ रहे हैं। 

    कहीं भी आलू की खेती नहीं 

    प्रखंड मुख्यालय के समीपवर्ती गांव बाबूगंज, रामडिहरा, सोनरा, महाराजगंज, ककाली बीघा, पड़रिया सहित दर्जनों गांव में पहले व्यापक पैमाने पर आलू की खेती होती थी, परंतु अब खोज डालिए कहीं भी आलू की खेती नहीं मिलेगी। 

    प्रखंड कृषि पदाधिकारी अमरनाथ मिश्रा के आते ही किसानों ने यही एकमात्र मुद्दा उठाया। उनसे जंगली जानवरों से निजात दिलाने की मांग भी की है। रामदेवरा के एक किसान रामजी सिंह ने आलू की खेती की है।