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Bihar: ढाई दशक बाद मिली ताले में बंद सम्राट अशोक शिलालेख की चाबी, सम्राट चौधरी ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद

कैमूर पहाड़ी की प्राकृतिक कंदरा में उत्कीर्ण 23 सौ साल प्राचीन अशोक शिलालेख में लगे ताले की चाबी को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को मरकजी मोहर्रम कमेटी ने सौंप दी है। शिलालेख को अपने मूल स्वरूप में लाने को किए जा रहे प्रयास को बल मिलेगा।

By brajesh pathakEdited By: Akshay PandeyPublished: Tue, 29 Nov 2022 10:05 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 10:05 PM (IST)
Bihar: ढाई दशक बाद मिली ताले में बंद सम्राट अशोक शिलालेख की चाबी, सम्राट चौधरी ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद
सासाराम में शिलालेख के बाहर कंदरा का बंद दरवाजा। जागरण।

जागरण संवाददाता, सासाराम: रोहतास। रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर शहर की पुरानी जीटी रोड और नए बाइपास के मध्य अवस्थित कैमूर पहाड़ी की प्राकृतिक कंदरा में उत्कीर्ण 23 सौ साल प्राचीन अशोक शिलालेख में लगे ताले की चाबी को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को मरकजी मोहर्रम कमेटी ने सौंप दी है, जिससे शिलालेख को अपने मूल स्वरूप में लाने को किए जा रहे प्रयास को बल मिलेगा। सम्राट अशोक शिलालेख की चाबी मिलने पर बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने पीएम नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद दिया है। 

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25 साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद मिली मुक्ति

25 साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद सम्राट अशोक के संदेशों को कैद से मुक्ति मिली है। एएसआइ के अधिकारियों ने चाबी मिलने की बात स्वीकार की है। अधिकारियों के अनुसार शिलालेख का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त पाया गया है। बता दें कि बीते 26 सितंबर को दैनिक जागरण ने ‘और कितने बामियान’ शीर्षक से देश भर में सचित्र समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया था। विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी के नेतृत्व में सासाराम में भाजपा ने महाधरना दिया। इसके बाद प्रबुद्ध लोगों ने कई बैठकें की थीं, जिसमें शासन व मोहर्रम कमेटी से शिलालेख से कब्जा हटाने की मांग की गई थी।    

शिलालेख 2300 साल पुराना

देश में ब्राह्मी लिपि में सामाजिक और धार्मिक सौहार्द के संदेश लिखे ऐसे शिलालेख मात्र आठ हैं और बिहार में एकमात्र। यह शिलालेख 2300 साल पुराना बताया जाता है। इसे गत 25 वर्षों से मरकजी मोहर्रम कमेटी ने मजार बनाने को इसकी घेराबंदी कर लोहे का दरवाजा लगा ताला जड़ दिया था। इस ऐतिहासिक विरासत को मुक्त कराने को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने जिला प्रशासन को 20 पत्र लिखे कि यथास्थिति बनाए रखें, वहां किया जा रहा निर्माण अवैध और गैरकानूनी है। परंतु कुछ नहीं हो सका। डीएम धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि दोनों पक्षों में आपसी सहमति के बाद चाभी पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया है।

पहले मोहर्रम कमेटी ने चाबी सौंपने का आदेश नहीं माना

वर्ष 2008 और 2012 व 2018 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुरोध पर अशोक शिलालेख के पास अतिक्रमण हटाने के लिए तत्कालीन डीएम ने एसडीएम सासाराम को निर्देशित भी किया था। तत्कालीन एसडीएम ने मरकजी मोहर्रम कमेटी से मजार की चाबी तत्काल प्रशासन को सौंपने का निर्देश दिया था, लेकिन कमेटी ने आदेश को नहीं माना। 

पीएम मोदी ने कराया शिलालेख को मुक्तः सम्राट चौधरी

बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने सासाराम की चंदन पहाड़ी पर स्थित सम्राट अशोक के शिलालेख को मुक्त कराए जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ये मोदी जैसे पराक्रमी, यशस्वी प्रधानमंत्री के चलते ही संभव हुआ, जिसके आदेश पर पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग, भारत सरकार ने खोजबीन करके सम्राट अशोक के वंशजों को न्याय दिलाने का काम किया है। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, पुरातात्विक विभाग और जिला प्रशासन को भी मैं धन्यवाद देता हूं।

हैरान करने वाली लालू-नीतीश की पालिसी

चौधरी ने कहा कि जिस तरीके से नीतीश सरकार ने कई सालों से इस बड़े मामले पर मिट्टी डालने का काम किया वे बताता है कि लालू-नीतीश की वोट बैंक की पालिसी कितनी हैरान करने वाली है। इसके चलते ये लोग सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय पुरातत्विक विभाग ने कई बार बिहार सरकार को पत्र लिखा लेकिन इन लोगों ने बार बार इसकी अनदेखी की। 


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