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46 का हुआ रोहतास, मिले तीन खिताब

रोहतास। शनिवार को रोहतास जिला 46 साल पूर्ण कर 47 वें वर्ष में प्रवेश करेगा। साढ़े चार दशक के दौरान ज

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 05:09 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 05:09 PM (IST)
46 का हुआ रोहतास, मिले तीन खिताब
46 का हुआ रोहतास, मिले तीन खिताब

रोहतास। शनिवार को रोहतास जिला 46 साल पूर्ण कर 47 वें वर्ष में प्रवेश करेगा। साढ़े चार दशक के दौरान जिलेवासी कई उतार-चढ़ाव को देखे हैं। जहां विकास के कई नए-नए कार्य हुए, वहीं रोजगार के कई पुराने आयाम बंद हुए। लोगों के सपने अभी भी अधूरे हैं। इस साल में बेहतर प्रबंधन व कार्य करने को ले जिला को तीन खिताब भी हासिल हुए हैं। सात निश्चय के तमाम कार्यक्रमों व योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में जहां रोहतास को दो पुरस्कार मिले, जिसे यहां के डीएम ने प्राप्त किया। इसके अलावा सिविल सर्विसेज डे पर बेहतर कार्य करने को ले यहां की डीडीसी उदिता ¨सह को भी पुरस्कृत किया गया। एक सप्ताह पहले सीएम ने सात निश्चय योजनाओं के सफल क्रियान्वयन पर डीएम पंकज दीक्षित को पुरस्कृत किया था। इसके पूर्व इसी वर्ष अप्रैल में सात निश्चय योजना में बेहतर कार्य करने पर जिले को तीसरा खिताब मिला था। जिले के लोग समारोह को यादगार बनाने का संकल्प ले आगे बढ़ने की तैयारी में हैं।

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10 नवंबर 1972 को बना था नया जिला :

रोहतास 10 नवम्बर 1972 को शाहाबाद से अलग हो स्वतंत्र जिला बना था। यह जिला कई उतार-चढ़ाव को पार करते हुए अब प्रौढ़ावस्था को प्राप्त कर लिया है। स्थापना दिवस को ले प्रशासन की ओर से कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, लोगों में भी उत्साह है। मुख्य कार्यक्रम न्यू स्टेडियम फजलगंज में आयोजित किए जा रहे हैं। बीते साढ़े चार दशक के दौरान जिले में कई विकास कार्य हुए, तो कई अभी भी अधर में लटक हुए हैं। जिसे पूरा होने का यहां के लोगों को अब भी इंतजार है। सैकड़ों परिवार के रोजगार के साधन माने जाने वाले बंद पत्थर उद्योग को फिर से चालू होने उम्मीद है। आने वाले कुछ वर्षों में पुराने रोहतास उद्योग समूह रेल कारखाना के नाम से जाना जाएगा। जबकि पीपीसीएल सहित कई कल-कारखाने अभी भी बंदी का गवाह बना है। दुर्गावती जलाशय परियोजना के चालू होने के बाद भी धान का कटोरा कहे जाने वाले इस जिले में ¨सचाई व रोजगार एक बड़ी समस्या अब भी बनी हुई है। कारण कि जलाशय का पानी अभी पूरी तरह से जिले के किसानों को नसीब नहीं हो पा रहा है। महदेवा जलाशय, इंद्रपुरी जलाशय परियोजना, बेलईया समेत अन्य ¨सचाई परियोजना मूर्त रूप नहीं ले सकी है। इंजीनिय¨रग, पॉलिटेकनिक व निजी मेडिकल कालेज जिले को तोहफे के रूप मिले।

स्थापना से नौ वर्ष पहले बना पुलिस जिला :

जिला बनने के बाद माधव सिन्हा यहां के पहले डीएम थे। तब से अब तक 39 आइएएस अधिकारियों को जिले की कमान सौंपी जा सकी है। पंकज दीक्षित 39 वें डीएम हैं। वहीं सत्यवीर ¨सह 48 वें एसपी हैं। स्थापना से नौ वर्ष पहले ही रोहतास पुलिस जिला बन गया था। एक जनवरी 1964 को रोहतास को पुलिस जिला का दर्जा मिला था। आईपीएस अधिकारी एसपी शर्मा यहां के पहले पुलिस अधीक्षक बनाए गए थे। उन्होंने एक सप्ताह तक पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया था। उसके बाद अब तक चार दर्जन आइपीएस अधिकारी को एसपी के रूप में जिले की कमान सौंपी गई है। पांच दशक के दौरान एक दर्जन से अधिक पुलिस कप्तानों के कार्यकाल को यहां के लोग आज भी याद करते हैं। जिनमें डीएन गौतम, जीएस रथ, सुदर्शन प्रसाद ¨सह, बच्चू ¨सह मीणा, विकास वैभव, मनु महराज प्रमुख रूप से शामिल हैं।

सौर ऊर्जा से लैस सूबे का पहला गांव बना रेहल :

विकास से कोसों दूर रहे कैमूर पहाड़ी पर बसे जिले के नौहट्टा प्रखंड के रेहल गांव सौर ऊर्जा से लैस सूबे का पहला गांव बनने का गौरव हासिल किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छह अप्रैल 2018 को रेहल पहुंच वहां सौर ऊर्जा चालित पेयजल आपूर्ति, बिजली, एमडीएम के अलावा हर घर नल का जल, पक्की नाली- गली समेत अन्य विकास कार्यों का उदघाटन किया था। पहाड़ पर बसे किसी गांव में बहुत कम समय में हुए विकास कार्यों पर सीएम ने तत्कालीन डीएम अनिमेष कुमार पराशर व उनकी पूरी टीम की काफी तारीफ की थी। अनिमेष कुमार पराशर के कार्यों को यहां के लोग अब भी जेहन में सहेजे हुए हैं।


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