तीन माह में स्पीडी ट्रायल में पुलिस ने भेजे सिर्फ तीन प्रस्ताव
स्पीडी ट्रायल के तहत सजा के लिए प्रस्ताव भेजने में पुलिस की चाल सुस्त है। स्पीडी ट्रायल के प्रस्ताव और निष्पादन सभी स्तर पर पुलिस लापरवाही बरत रही है। इसका फायदा अपराधियों को मिल रहा है और पीड़ित न्याय के लिए भटक रहे हैं। पुलिस ने स्पीडी ट्रालय के लिए पिछले तीन माह में विभाग के निर्देश के अनुसार औसतन काफी कम प्रस्ताव भेजा है। पिछले तीन माह में स्पीडी ट्रायल में सजा के लिए सिर्फ तीन प्रस्ताव पहुंचा है। वहीं स्पीडी ट्रायल के तहत तीन माह में 10 कांडों का निष्पादन और 1
पूर्णिया। स्पीडी ट्रायल के तहत सजा के लिए प्रस्ताव भेजने में पुलिस की चाल सुस्त है। स्पीडी ट्रायल के प्रस्ताव और निष्पादन सभी स्तर पर पुलिस लापरवाही बरत रही है। इसका फायदा अपराधियों को मिल रहा है और पीड़ित न्याय के लिए भटक रहे हैं। पुलिस ने स्पीडी ट्रायल के लिए पिछले तीन माह में विभाग के निर्देश के अनुसार औसतन काफी कम प्रस्ताव भेजा है। पिछले तीन माह में स्पीडी ट्रायल में सजा के लिए सिर्फ तीन प्रस्ताव पहुंचा है। वहीं स्पीडी ट्रायल के तहत तीन माह में 10 कांडों का निष्पादन और 18 आरोपित को सजा मिला है। पुलिस मुख्यालय ने प्रति माह पुलिस को संगीन अपराध के 5 से 10 प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद पुलिस की सिथिल चाल के कारण स्पीडी ट्रायल में मामला नहीं पहुंच पाता है। बताया जाता है कि अनुसंधान में डायरी कमजोर होने के कारण स्पीडी ट्रायल भेजने में कोताही बरती जा रही है। डायरी कमजोर होने के कारण आरोपित को सजा नहीं मिल पाता है।
मई में नहीं भेजा गया एक भी प्रस्ताव
पुलिस ने तीन माह में सिर्फ तीन प्रस्ताव स्पीडी ट्रायल के लिए भेजे। इसमें जुलाई माह में दो, जून माह में एक और मई माह में एक भी प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ। वहीं भेजे गए प्रस्ताव में से जुलाई माह में तीन, जून माह में दो और मई माह में पांच मामले का निष्पादन हुआ, जिसमें 18 आरोपित को सजा हुआ। इसमें जुलाई में पांच, जून में चार और मई माह में नौ आरोपितों को सजा सुनाकर जेल भेजा गया।
5-10 मामले का प्रस्ताव भेजने का है निर्देश
अपराध अनुसंधान विभाग ने सभी जिला को स्पीडी ट्रायल के तहत अधिक से अधिक संगीन मामले का प्रस्ताव समर्पित करने का निर्देश दिया है। विभाग ने प्रत्येक माह 5 से 10 मामले का प्रस्ताव स्पीडी ट्रायल में भेजने को कहा गया है ताकि आरोपितों को जल्द से जल्द सजा दिलायी जा सके। लेकिन पुलिस भेजे गए प्रस्ताव में भी समय पर गवाही, डायरी, चार्जशीट समेत केस से जुड़े तमाम दस्तावेज न्यायालय में प्रस्तुत नहीं कर पाती है। इस कारण जुलाई माह के अंत तक 97 मामला लंबित है।