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जुर्माना उगाही से दुर्घटना पर नहीं लगेगा अंकुश

पूर्णिया। सड़क पर यातायात नियमों की अनदेखी आम बात हो गई है। सभी लोग घर से निकलते ही ज

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 07:11 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 07:11 PM (IST)
जुर्माना उगाही से दुर्घटना पर नहीं लगेगा अंकुश
जुर्माना उगाही से दुर्घटना पर नहीं लगेगा अंकुश

पूर्णिया। सड़क पर यातायात नियमों की अनदेखी आम बात हो गई है। सभी लोग घर से निकलते ही जल्दी में रहते हैं। गंतव्य तक पहुंचने की हड़बड़ी से स्वयं और दूसरे के जान को जोखिम में डालते हैं। सड़कों पर यातायात पुलिस भी मानो नींद में रहती है। नियमों की अनदेखी सारे आम होती है लेकिन कोई रोकने और टोकने वाला नहीं है। वाहन जांच विभाग के लिए रस्म अदायगी खजाना भरने से अधिक कुछ नहीं है। दबाव बढ़ते ही चालान काट कर पुलिस अपना पल्ला झाड़ लेती है। कोई फंस गया तो जुर्माना भर दिया नहीं तो इधर-उधर जुगाड़ लगाकर बच निकले। ठंड के मौसम में सड़कें और भी जानलेवा बनती जा रही है। सड़क पर संकेतक, रिफलेक्टर, व्हाइट मार्क आदि नहीं रहने के कारण भी कई दुर्घटना अधिक हो रही है। केस स्टडी -:

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पिछले वर्ष 5 अगस्त को बस स्टैंड के पास ही एक बस डिवाइडर से टकराने के बाद आग की चपेट में आ गई। इस हादसे में एक महिला जिदा जल गई और दर्जनों लोग झुलस गए। घटना सुबह तीन बजे की थी। इस घटना के बाद पब्लिक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है और लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। दरअसल यहां पर रात में आने वाली बसें और ट्रक बराबर इस डिवाइडर से टकरा रही थी। काफी बार शिकायत और चेताने के बाद प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया था। यह डिवाइडर रोशनी कम होने कारण दूर से पता ही नहीं चलता था। बनावट के कारण भी वाहन कई बार टकराए थे लेकिन प्रशासन तबतक नहीं जागा जबतक बड़ी घटना नहीं घटी। इस घटना के बाद डिवाइडर को ही वहां से तोड़ कर हटाया गया और उसके बाद उस स्थान पर एक भी दुर्घटना नहीं घटी। जबकि उसी डिवाइडर के बनने के बाद कभी ‌र्ट्क टकराता था तो कभी स्क्रॉपियो चपेट में आ रहा था। ऐसे ही शहर में प्रवेश करते ही कई डिवाइडर हैं लेकिन रिफलेक्टर या संकेतक जो रात में पता चले लगा हुआ नहीं है।

नियमों का हो सख्ती से पालन -:

विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर वाहन चालक स्वयं नियमों का पालन करें और वाहन की रफ्तार को नियंत्रित रखें तो दुर्घटना को 60 फीसद तक कम की जा सकती है। उसके बाद अन्य की गलती और सड़क के बनावट का दोष के साथ ही संकेतक आदि का नहीं लगना बचता है जो विभागीय चुस्ती से दूर हो सकती है। हेलमेट और सीट बेल्ड लगाना बेहद जरुरी है। मोबाइल का इस्तेमाल बंद करना कुछ ऐसी सावधानी जिसको बरतने से दुर्घटना को काफी कम किया जा सकता है। लोगों को भी इसको लेकर जागरुक रहना होगा। सड़क हादसों में मरने वालों में अधिक संख्या पैदल यात्री और दो पहिया पर चलने वाले लोग होते हैं। सावधानी बरतने से तुरंत कमी आ सकती है। प्रशासनिक उदासीनता भी जिम्मेदार -:

सड़क निर्माण और रखरखाव में हो रही लापरवाही दुर्घटना का बड़ा कारण बनता जा रहा है। पिछले चार माह से अधिक समय से बस स्टैंड लेकर मरंगा तक की सड़क बन रही है। इसमें डिवाइडर में बड़े -बड़े सरिया निकला हुआ है जो अब कुहासे के वक्त काफी खतरनाक हो सकता है। रोशनी की व्यवस्था और संकेतक लगाने से इसको टाला जा सकता है। कई सड़कों की हालत बेहद खराब है। उसके बाद यातायात व्यवस्था का सही नहीं होना है। आवारा पशुओं का खुलेआम सड़कों पर घुमना, सीवर लाइनों ठीक नहीं होना आदि ऐसे कई कारण है जिससे दुर्घटना बढ़ रही है। यातायात नियमों का सख्ती से पालन बेहद जरुरी है।


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