कोसी क्षेत्र में आज भी कायम है दीवाली की अनोखी परंपरा हुक्का-पाती
पूर्णिया। कोसी क्षेत्र में आज भी कायम है दिवाली की अनोखी परंपरा हुक्का-पाती। दीया जलाने के
पूर्णिया। कोसी क्षेत्र में आज भी कायम है दिवाली की अनोखी परंपरा 'हुक्का-पाती'। दीया जलाने के बाद दीवाली की रात हर घर के दरवाजे पर लोग हुक्का-पाती को जलाकर घुमाते हैं। इसके साथ ही दीवाली मना लिए जाने का रिवाज पूरा होता है। कोसी क्षेत्र में सदियों से आ रही अनोखी परंपरा हुक्का-पाती आज भी कायम है। दिवाली के ऐलै त्योहार, हुक्का-पाती धू-धू, लक्ष्मी घर, दरिद्दर बाहर..। दीपावली के अवसर पर गाई जाने वाली देसज शैली की इस लोकगीत से जिले और क्षेत्र के अधिकांश गांवों के लोग वाकिफ हैं। लोकगीत बिहार की उस अनोखी परंपरा की वाहक है जो हजारों वर्षों से इस क्षेत्र के लोग सदियों से निभाते आ रहे हैं।
दरअसल भारतीय संस्कृति और परंपरा आज भी गांव के लोगों ने बचा कर रखी है। इसी में से एक है कोसी क्षेत्र में दीपावली के अवसर पर हुक्का-पाती खेलने की परंपरा। वैसे तो राज्य के हर क्षेत्र में दीपावली मनाने की अपनी अलग-अलग परंपराएं हैं। अब तो बाजारों में भी होने लगी है, हुक्का-पाती की बिक्री कोसी क्षेत्र में बगैर हुक्का-पाती के दीवाली मनती ही नहीं है। हुक्का-पाती सनठी (पटसन के पौधे से सन निकालने के बाद बचा हुआ लकड़ी जैसा हिस्सा) और पाट (सन) की रस्सी से बनाते हैं।