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ड्राप आउट बच्चों को स्कूल की राह दिखा रहे हैं राहुल

जागरण संवाददाता पूर्णिया जब अंधेरा काफी घना हो तो एक दीपक की लौ भी प्रकाश फैलाने के ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 07:37 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 07:37 PM (IST)
ड्राप आउट बच्चों को स्कूल की राह दिखा रहे हैं राहुल
ड्राप आउट बच्चों को स्कूल की राह दिखा रहे हैं राहुल

जागरण संवाददाता, पूर्णिया: जब अंधेरा काफी घना हो तो एक दीपक की लौ भी प्रकाश फैलाने के लिए काफी है। ग्रामीण इलाके में ऐसे बच्चे जिनके लिए स्कूली शिक्षा जारी रखना एक चुनौती है, वहां बच्चों के लिए सहायक की भूमिका निभाने का प्रयास काफी व्यापक प्रभाव डालता है। राहुल कुमार रंजन के प्रयास से बीकोठी एवं केनगर प्रखंड में 50 से अधिक ड्राप आउट बच्चों को स्कूल पहुंचा चुके हैं।

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बीकोठी प्रखंड स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय ओरलाहा में बतौर शिक्षक पदस्थापित हैं। राहुल ग्रामीण इलाके में ऐसे बच्चे जो कमजोर तबके से आते हैं, जो ईंट भट्ठों आदि में काम करते हैं, उन्हें समझाकर दोबारा स्कूल की राह पकड़ा रहे हैं। वे विभागीय प्रयास कार्यक्रम से भी जुड़े हुए हैं। 2014 से ही राहुल अपने कार्य में विभागीय प्रयास से इतर भी लगे हुए हैं। बीकोठी के अलावा केनगर में कैंप आयोजित कर वे ऐसे बच्चों की तलाश कर उन्हें स्कूल पहुंचा चुके हैं। अपने अन्य सहकर्मियों की मदद से वे इस कार्य में जुटे हैं। राहुल कहते हैं कि स्कूल में नामांकन के बाद बड़ी संख्या में बच्चे कुछ दिनों तक स्कूल आते हैं लेकिन उसके बाद अचानक गायब हो जाते हैं। इसके लिए परिवार का माहौल भी जिम्मेदार होता है। कई बच्चे अपने माता-पिता के अनुपस्थिति में अपने छोटे भाई -बहनों को घर में संभालते हैं। कुछ बच्चे कारखाने और ईंट भट्ठे में काम करने लगते हैं। वैसे बच्चों को स्कूल में वापस लाने का प्रयास किया जाता है। राहुल का मानना है कि शिक्षा व्यक्ति को सही मायने में स्वावलंबी बनाता है। उनको अपने अधिकारों के प्रति सचेत होना सीखाता है। सही मायने में आत्मनिर्भर होने के लिए व्यक्ति का शिक्षा प्राप्त करना अनिवार्य है।

कोरोना महामारी में जब बच्चे स्कूल से दूर हैं तो ग्रामीण इलाके में बच्चों के लिए अपने कोर्स को पूर्ण करना एक चुनौती है। ऐसे में राहुल ने इस दौरान बच्चों को निशुल्क आनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उनको छोटे -छोटे समूह में क्षेत्र में एक या दो मोबाइल उपलब्ध कराकर पढ़ाते हैं। क्षेत्र में एक लोग के पास भी स्मार्ट फोन रहने से दस से अधिक बच्चे एक समय पर पढ़ लेते हैं। इस तरह बच्चों को पठन -पाठन जुड़ाव बना रहता है। इस प्रयास की प्रखंड स्तर पर काफी प्रशंसा हुई है। कई जनप्रतिनिधियों ने भी इसकी सराहना की है। राहुल स्वयं मनोविज्ञान विषय से परास्नातक हैं। लेखन कार्य में भी उनकी दिलचस्पी है। आपदा प्रबंधन मसलन भूकंप आदि जैसे विषयों पर अपने स्कूल से वे बतौर मास्टर ट्रेनर शिक्षकों को प्रशिक्षण देते हैं। दस वर्षों से शिक्षण कार्य से जुड़े हैं तथा गरीब बच्चों के लिए मददगार बने हुए हैं।


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