स्वच्छता सर्वे टीम को काम दिखाने की कवायद में नगर निगम
पूर्णिया। केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 अंतिम पड़ाव पर है। एक सप्ताह के भीतर सर्वे टीम के सद
पूर्णिया। केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 अंतिम पड़ाव पर है। एक सप्ताह के भीतर सर्वे टीम के सदस्य पूर्णिया पहुंचकर शहर के साफ-सफाई व्यवस्था का जायजा लेकर नंबर देंगे। उस नंबर के आधार पर साफ-सफाई में देश स्तर पर शहर का रैंकिग तय होगा। सर्वे टीम के आगमन को लेकर नगर निगम की सुगबुगाहट तेज हो गई है। व्यवस्था के नाम पर तैयारी की खानापूर्ति नगर निगम द्वारा शुरू कर दिया गया है।
नागरिक सुविधा देने के बजाय दिखावा के लिए अब एक साल पूर्व से थाना चौक पर बनकर तैयार बंद डिलक्स शौचालय को चालू किया गया है। इससे प्रतीत होता है कि यह डिकल्स शौचालय सर्वेक्षण टीम के रैंक के लिए ही निर्माण कराया गया था। लखन चौक स्थित पुराने सुलभ शौचालय को रंग-रोगन किया गया है। पूर्णिया सिटी में जैविक खाद के निर्माण के लिए अर्धनिर्मित बंद पड़े पिट की सफाई कर खाद निर्माण शुरू किया गया है। शहर में जगह-जगह चौक-चौराहे पर साफ-सफाई को लेकर जागरूकता पोस्टर लगाया गया है और जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटक अभियान चलाया जा रहा है। अब ऐसे में नगर निगम की के कामकाज का आकलन किया जा सकता है कि धरातल पर काम कर नागरिक सुविधा बढ़ाने के बजाय स्वच्छता सर्वे टीम को दिखावे के लिए काम कर रही है। निगम को नागरिक सुविधा से नहीं अपितु सिर्फ सर्वे टीम का ख्याल है।
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सर्वे की मुख्य बिदु पर सुविधा बहाल करने से दूर है निगम
स्वच्छता सर्वेक्षण में डोर टू डोर गीला और सूखा कचरा अलग-अलग उठाव कर डंपिग जोन में कचरा डंप करने की क्या व्यवस्था है। फिर गीला कचरा से जैविक खाद तैयार करने की व्यवस्था किस प्रकार है। सर्वे टीम यह देखेगा की शहर में यूरिनल और शौचालय की क्या व्यवस्था है। कचरा फेंकने के लिए बाजार में कूड़ेदान की व्यवस्था सहित स्वच्छता एप पर शिकायत और निपटारे को लेकर निगम की सजगता और प्रतिबंधित पॉलीथिन पर होने वाली कार्रवाई एवं साफ-सफाई की व्यवस्था में पहले से कितना सुधार हुआ है या नहीं इस पर जनता से फीडबैक लेगी। इस तरह के कई बिदू पर सर्वे होगा। लेकिन वास्तविकता का आलम है कि नगर निगम क्षेत्र इन सभी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। ना डोर टू डोर सूखा और गीला कचरा उठाव हो रहा है। ना कचरा डंप करने के लिए डंपिग जोन की व्यवस्था है। यूरिनल और शौचालय की व्यवस्था को लेकर एक दर्जन से अधिक जगहों पर बनने वाले यूरिनल एवं शौचालय में कोई निर्माण नहीं हो पाया है। जैविक खाद बनाने के लिए पिट का निर्माण एवं विभिन्न वार्डों में कलस्टर बनाकर खाद निर्माण प्रक्रिया शुरू करने की कोई कवायद नहीं हो पाई है। वहीं प्रतिबंधित पॉलीथिन पर भी निगम बीच-बीच में छापेमारी कर सिर्फ खानापूर्ति किया जा रहा है।
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रैंकिग में नहीं हो रहा सुधार
पूर्णिया प्रमंडल का पूर्णिया जिला स्वच्छता रैंकिग में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है। साफ-सफाई व्यवस्था की स्थिति यह है कि कटिहार और किशनगंज जिला से भी पूर्णिया की रैंकिग पीछे है। 2020 के स्वच्छता रैंकिग में पूर्णिया को 346 वां स्थान मिला था। 2019 में 420 वां स्थान था। 2018 में 436 और 2017 में 281 रैंक पर पूर्णिया जिला रहा है। अब इस वर्ष 2021 के रैंकिग में देखना है कि कौन सा रैंक मिलता है।
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स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंक लाने के लिए तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। सफाई सहित सभी व्यवस्था बहाल कर इसे लगातार आगे भी चालू रखा जाएगा।
विजय कुमार सिंह, नगर आयुक्त