सीमांचल में स्मैक तस्करी के लिए बंगाल को बनाया बसेरा
पूर्णिया। अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय सीमा से सटे स्मैक के दलदल में फंसे पूर्णिया को उबार
पूर्णिया। अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय सीमा से सटे स्मैक के दलदल में फंसे पूर्णिया को उबारने की कोशिश में पुलिस जुटी हुई है। लगातार विस्तार हो रहे स्मैक कारोबारियों का नेटवर्क समाप्त होने से युवा पीढ़ी को नई जिदगानी मिलेगी। पूर्णिया पुलिस द्वारा सीमांचल में स्मैक तस्करी का अब तक की सबसे बड़ी खेप पकड़े जाने पर ऐसे तस्करों की नींद उड़ गई है।
इस बड़ी कार्रवाई से एक दर्जन स्मैक कारोबारी की संलिप्तता है। इसमें छह को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया और छह को चिन्हित कर प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है। बताया जाता है कि पकड़े गए स्मैक तस्कर का गिरोह दो टीम के रूप में काम करता था। एक टीम बंगाल को अपना बसेरा बनाकर अधिकांश समय वहीं व्यतीत करता था। वहीं दूसरी टीम वहां से सप्लाई किए जाने वाले स्मैक की खेप को पूर्णिया में पुड़िया तैयार कर बेचता था। बंगाल में रहने वाली टीम बंगलादेश के सीमा से सटे मालदा स्थित गार्डन एवं आसपास के जगहों से वहां बैठे तस्कर से स्मैक की खेप लेकर पूर्णिया सीमा तक पहुंचाकर दूसरी टीम को सौंपता था। अक्सर टीम के सरगना सहित अन्य सदस्य बंगाल में रहकर मौज-मस्ती करता और वहां से स्मैक तस्करी का काम करता था।
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स्मैक की लत से युवाओं का मानसिक संतुलन हो रहा खराब::
स्मैक तस्कर युवाओं को स्मैक का लत लगाता। फिर स्मैक का कारोबार कराता। बताया जा रहा है कि लगातार स्मैक का सेवन करने से मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। इससे स्मैक के दलदल में फंसे युवा वर्ग के परिजन भी परेशान रहते हैं। बताया जाता है कि पूर्णिया के दो दर्जन से अधिक घर वाले स्मैक के लत से मानसिक संतुलन खो चुके अपने बच्चे को नशा मुक्ति केंद्र भेजे हैं अन्यथा मानसिक रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर उसे ठीक करने में परेशान हैं। लेकिन तस्कर अपने मुनाफा के लिए पूर्णिया के युवा वर्ग को स्मैक के दलदल में फंसा दिया है।
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दो साल से पुलिस उदासीनता का है नतीजा::
पूर्णिया में अचानक से स्मैक कारोबार का नेटवर्क नहीं फैला है। यह पिछले दो साल से पुलिस उदासीनता का नतीजा है कि आज हर चौक-चौराहे और गली-मोहल्ले में स्मैक कारोबार फल-फुल रहा है। नए पुलिस अधीक्षक दया शंकर के आने पर नशा कारोबारियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में स्मैक कारोबारी पर कार्रवाई शुरू की गई। बड़ी बात यह है कि यही पुलिस पदाधिकारी पहले से यहां थे लेकिन कार्रवाई नहीं होने से धड़ल्ले से कारोबार संचालित किया जाता रहा। पिछले दो साल से ही पुलिस को अक्सर स्मैक खरीद-बिक्री एवं कारोबार का सूचना मिलता था लेकिन स्थानीय पुलिस उसे नजरअंदाज करती रही। नतीजा है कि आज स्मैक पूर्णिया में अपना जड़ जमा लिया है। शहर से लेकर गांव तक कारोबार से लेकर सेवन किया जा रहा है।
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स्मैक एक ऐसा नशा है जिसका लत लगने के बाद उससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है। लगातार ऐसे नशा के सेवन से मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। अक्सर ऐसे लोग आते हैं जो नशा से दूर करने का परामर्श और दवा लेकर जाते हैं।
डॉ. राजेश भारती, मनोचिकित्सक