रेणु सेवा समिति ने रेणु जयंती पर कार्यक्रम का किया आयोजन
पूर्णिया। फणीश्वरनाथ रेणु सेवा समिति के तत्वाधान में शताब्दी जयंती मनाई गई। सर्वप्रथम उनके प्रि
पूर्णिया। फणीश्वरनाथ रेणु सेवा समिति के तत्वाधान में शताब्दी जयंती मनाई गई। सर्वप्रथम उनके प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष जवाहर यादव ने की जबकि मंच का संचालन संयुक्त सचिव गौतम वर्मा ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में बुजुर्ग समाज के अध्यक्ष भोलानाथ आलोक उपस्थित थे। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। चिकित्सक समाजसेवी डॉ. देवी राम ने फणीश्वरनाथ रेणु को प्रेमचंद के बाद सबसे लोकप्रिय साहित्यकार बताया। शहर में उनके नाम पर एक टावर का निर्माण कराने की मांग सरकार से की है। समिति के संरक्षक आलोक यादव ने कहा की पूर्णिया विश्वविद्यालय का नाम रेणु के नाम पर होना चाहिए। साहित्यकार डॉ. रामनरेश भगत ने कहा कि रेणु एक छोटे से ग्रामीण परिवेश में रहते हुए अपने साहित्य की बदौलत पूरी दुनिया में छा गए यह मामूली बात नहीं है। डॉ. केके चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समिति के महासचिव और अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने कहा किस सन 1974 जयप्रकाश आंदोलन में रेणु से पूर्णिया जेल में मिलने का मौका मिला था। मोहम्मद इस्लामुद्दीन, रंजन सिंह, एमएच रहमान, मुंशी लाल यादव, वीरेंद्र दास, विजय पंडित, गोपाल ठाकुर, नियाज अहमद, जमुना मुरमुर, उत्तम सिंह, राणा सिंह, महेंद्र मोदी आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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भाषण प्रतियोगिता का किया गया आयोजन
जासं, पूर्णिया: आकाशवाणी रोड स्थित सहयोग परिसर में संस्था के अध्यक्ष डॉ. अजीत प्रसाद सिंह ने कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु जयंती के अवसर पर उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर कर नमन किया। इस अवसर पर सहयोग डोमेन स्किल सेंटर के छात्रों के बीच उनके जीवनी पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । प्रतियोगिता में विजेता को सम्मानित किया गया। अवसर पर डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि
यह जन्म शताब्दी वर्ष के मौके पर उनकी रचना पर चर्चा होनी चाहिए ताकि नई पीढ़ी को भी जानकारी मिले। उनका लेखन प्रेमचंद की सामाजिक यथार्थवादी परंपरा को आगे बढ़ाता नजर आता है. मौके पर संतोष, राहुल कुमार शर्मा, डॉ. राजेश गोस्वामी, पवन कुमार, प्रीतम कुमार, डॉ. सतीश ठाकुर, रमेश कुमार, राकेश कुमार, रमन कुमार, रितेश कुमार, सुष्मिता भारती, ज्योति आदि मौजूद थे।