सीएचसी में सुविधा तो बढ़ी मगर मरीजों को नहीं मिल रही इसका लाभ
संस कसबा (पूर्णिया) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा को सीएचसी में तब्दील हुए 6 साल बीत गए लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा को सीएचसी में तब्दील हुए 6 साल बीत गए लेकिन सुविधा नहीं बदली है। 30 बेडों वाले इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अल्ट्रासाउंड सेंटर भी उपलब्ध नहीं है। मानव संसाधन की कमी मसलन डॉक्टर ड्रेसर और स्वास्थ्य कर्मियों ने स्थिति को और दयनीय बना दिया है।
संस, कसबा (पूर्णिया) : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा को सीएचसी में तब्दील हुए 6 साल बीत गए लेकिन सुविधा नहीं बदली है। 30 बेडों वाले इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अल्ट्रासाउंड सेंटर भी उपलब्ध नहीं है। मानव संसाधन की कमी मसलन डॉक्टर, ड्रेसर और स्वास्थ्य कर्मियों ने स्थिति को और दयनीय बना दिया है। सीएचसी में तीस बेड के साथ प्रसूता गृह, जांच घर, दवा आदि की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। मगर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। सरकार का यह दावा की अस्पताल में मरीजों को सभी तरह की सुविधा उपलब्ध करा दी गयी है यहां मजाक बनकर रह गयी है। सीएचसी कसबा पर न सिर्फ 2 लाख, 42 हजार 735 लोगों की आबादी का भार है बल्कि कसबा प्रखंड के सटे जलालगढ़, अमौर तथा डगरूआ प्रखंड के भी कई पंचायत के रोगी सीएचसी कसबा में ही इलाज करवाने आते हैं। सीएचसी कसबा में औसतन 280 रोगी प्रतिदिन इलाज के लिए आते हैं। वह शनिवार तथा मंगलवार को रोगियों की संख्या 500 के आंकड़े को पार कर जाती है। वहीं एसएचसी कसबा में मात्र 4 चिकित्सक ही पदस्थापित है। वहीं एएनएम कुल 36 हैं तथा जीएनएम की संख्या 6 है। अस्पताल में पदस्थापित स्वास्थ्य कर्मी तकरीबन 6 से 7 किलोमीटर की दूरी तय कर सीएचसी कसबा पहुंचते हैं। कसबा प्रखंड की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है कितु अस्पताल में नियुक्त चिकित्सकों की संख्या पहले के जैसे ही यथावत है। अस्पताल में इलाज कराने आए रोगियों को अस्पताल से दवा दी जाती है। चिकित्सक द्वारा वही दवाइयां लिखी जाती है जो अस्पताल में उपलब्ध हो। कई बार इलाज करवाने आए रोगियों की मांग पर चिकित्सक बाहर की दवाइयां भी लिखते हैं। अस्पताल में उपलब्ध दवाइयों की सूची सूचना पत्र प्रकाशित की जाती है। बताते चलें कि सरकार द्वारा सीएचसी कसबा मे कुल 55 प्रकार की दवाइयां दी जाती है,कितु वर्तमान मे मात्र 36 प्रकार की दवाइयां ही अस्पताल में उपलब्ध है। शनिवार को सीएससी कसबा में मौजूद महिला रोगी सरिता देवी ने बताया कि वह अपने इलाज के लिए आए थे और उन्हें सरकारी दवा उपलब्ध हुई है।
अस्पताल की सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे -
सफाई व्यवस्था पर बात करें तो सफाई के लिए एनजीओ कार्यरत है। एनजीओ के कर्मियों द्वारा अस्पताल परिसर के अंदर दिन में तीन बार तथा बाहर परिसर में दो बार साफ सफाई की जाती है। लेकिन इसके बाद भी यहां अस्पताल में कई स्थानों पर गंदगी का अंबार लगा रहता है। सरकारी तौर पर अस्पताल में सफाई कर्मी के पद पर कोई नियुक्त नहीं है। वही व्यवस्था की गड़बड़ी की बात करें तो सिर्फ महिला चिकित्सक की नियुक्ति नहीं होने के कारण अंतराष्ट्रीय वैश्य महासभा द्वारा बमबम साह के नेतृत्व में स्थानीय लोगों द्वारा आवाज उठाई गई थी। किन्तु आज तक सीएचसी कसबा में महिला चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हो पाई है।
क्या कहते हैं प्रभारी- अस्पताल की व्यवस्था के संबंध में प्रभारी चिकित्सा प्रभारी अशोक कुमार सिंह ने कहा की अस्पताल की सभी व्यवस्था को सही करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है।