धूल-धुआं से सदर अस्पताल में मरीजों का घुटता है दम
पूर्णिया। अस्पताल मरीजों का इलाज के लिए होता है लेकिन अगर मरीज वहां पहुंच कर और बीमार हो जाएं तो
पूर्णिया। अस्पताल मरीजों का इलाज के लिए होता है लेकिन अगर मरीज वहां पहुंच कर और बीमार हो जाएं तो क्या कहा जाएगा। सदर अस्पताल की फिलहाल हालत यही है। यहां मरीज के साथ पहुंचने वाले स्वजन भी अब बीमार हो रहे हैं। परिसर अब अस्पताल संचालन के लिए बिल्कुल ही अनुकूल नहीं रहा है। परिसर में ही खुले कचरे को जला दिया जाता है। शनिवार को इसके धुंआ से पूरा परिसर और वार्ड के मरीज बुरा हाल हो गया। यहां तक कि ओपीडी और इनवार्ड में भर्ती मरीज का तो दम घुंटने लगा। अस्पताल परिसर में ही इस तरह का खुलेआम कचरे में आग लगाना यहां के विभिन्न तरह के भर्ती मरीज और ओपीडी में इलाज के लिए पहुंच की हालत खराब हो गई। सदर अस्पताल अस्पताल के अधिकांश भवन को बिना आकलन के ही तोड़ दिया गया है। अब यहां पर बीएमएससीआइएल मेडिकल कॉलेज का भवन निर्माण करवा रहा है। ओपीडी, इमरजेंसी, प्रसव वार्ड, एसएनसीयू, लैब आदि की सुविधा अभी दी जा रही है। इनवार्ड में भी मरीजों की भर्ती हो रही है। निर्माण गतिविधि के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। इस दौरान कंपनी द्वारा मानक का पालन भी नहीं हो रहा है।
धूल-धुआं से मरीजों का घुटता है दम
अस्पताल परिसर में निर्माण कार्य होने से चोरों ओर धूल उड़ती रहती है। इस कारण से अब मरीजों का दम घुटने लगा है। परिसर और स्टाफ अब सांस की समस्या की शिकायत करने लगे हैं। कचरे में परिसर में आग लगा देने से अब धूल और धुंआ दोनों मरीज का वार्ड के अंदर रहना भी मुश्किल हो गया है। ओपीडी में भी मरीज को परेशानी हो रही है। शनिवार शाम अचानक परिसर में धुआं फैलने से लोग परेशान हो गए। सदर अस्पताल परिसर में शनिवार को सड़क पर पानी भर जाने के कारण झील जैसा नजारा बन गया। प्रवेश द्वार से लेकर अंदर इमरजेंसी वार्ड तक पहुंचने वाली सड़क पर पानी लबालब भर गया और वह चारों तरफ फैल गया। लगा मानो बाढ़ आ गई है। मरीज को काफी घंटे तक परेशानी हुई और पानी निकलने के बाद पूरा परिसर कीचड़ से भर गया है। सड़क पर काफी देर तक कीचड़ भर गया। निर्माण कंपनी द्वारा नियम के साथ खिलवाड़ का नतीजा है कि अब यह पर मरीजों के इलाज में काफी परेशानी हो रही है।