समाज का सबसे बड़ा अभिशाप है बाल विवाह और दहेज प्रथा
पूर्णिया। दहेज समाज का सबसे बड़ा अभिशाप है। उक्त बातें रविवार को धमदाहा पूर्व पंचायत के बघवा ट
पूर्णिया। दहेज समाज का सबसे बड़ा अभिशाप है। उक्त बातें रविवार को धमदाहा पूर्व पंचायत के बघवा टोटहा गाव में मां उर्मिला सोशल हेल्थ एंड एजुकेशन ट्रस्ट एवं दृष्टि पब्लिक इंग्लिश स्कूल मीरगंज के द्वारा मैं भी छू सकती हूं आकाश बाल शिक्षा एवं बाल विवाह के विरुद्ध जागरूकता कार्यक्रम में कही गई। कार्यक्रम की शुरुआत मुनचुन साह साहित्य परिषद के निदेशक कैलाश बिहारी चौधरी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मुनचुन साह ने बच्चों की शिक्षा एवं उनके अधिकार और शिक्षित समाज निर्माण करने पर बल देते हुए कहा कि शिक्षित समाज ही अपने देश को आगे बढ़ाने
में मदद करता है। बाल विवाह एवं दहेज प्रथा पर विशेष जानकारी देते हुए कहा कि बाल विवाह जच्चा-बच्चा को कमजोर कर देता है। वहीं दहेज प्रथा समाज का सबसे बड़ा अभिशाप है। बाल विवाह नहीं करने की अपील लोगों से की। वहीं कैलाश बिहार चौधरी ने बाल शिक्षा पर आधारित कई बातें कही। मंच संचालन कर रही पोलिना टुडू द्वारा संथाली भाषा में शिक्षा का महत्व समझाने का संभव प्रयास किया। इस मौके पर मोहन मुर्मू को अंगवस्त्र देकर संस्था ने सम्मानित किया। तथा बच्चों के बीच चाकलेट बाटे गए। कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यायल के शिक्षक संतोष कुमार, सोनम कुमारी, जुली कुमारी, पूजा, नेहा, मनोज सिंह एवं ग्रामीण तत्पर थे।