रिटायर्ड फौजियों का भी खौला खून, बॉर्डर पर जाने की मांगी इजाजत
पूर्णिया : आतंकवादियों की कायराना हरकत पर रिटायर्ड फौजियों का खून खौल उठा है। उन्होंने सर
पूर्णिया : आतंकवादियों की कायराना हरकत पर रिटायर्ड फौजियों का खून खौल उठा है। उन्होंने सरकार से एकबार फिर सीमा की रक्षा करने के लिए तैनात करने की माग की है। उन्होंने कहा है कि कई बार जंगे-मैदान में हार का मुंह देखने के बाद भी पाकिस्तान अपनी शर्मिंदगी पर मुंह नहीं छिपा रहा है बल्कि कायरों की तरह पीछे से वार कर रहा है। उसे हर हाल में सजा मिलनी चाहिए।
शोफिया की घटना याद कर उबल पड़ते हैं कान्हजी
फोटो-15 पीआरएन-36
कश्मीर के शोफिया में 1990 के दशक में बीहपुर के मडवा गाव के साथी नायक सचिन कुमार को आतंकी मुठभेड़ में अपने हाथों में शहीद होते देखा है। तब ऐसा लगा था कि वे पाकिस्तान में आग लगा दें। वे अपने शहीद साथी को लेकर जब मडवा पहुंचे थे, तब उनकी पत्नी ने एक ही बात कही थी कि सामने दोस्त शहीद हो गया और आप देखते रहे। सभी को मारा क्यों नहीं। वे एक साथी की पत्नी की आसुओं को आजतक भूल नहीं पाए हैं। आज 44 पत्िनया, मा, बाप, भाई, बहन पर क्या बीत रही होगी, यह अंदाजा लगाया जा सकता है।
बीएसएफ के रिटायर्ड नायक कान्हजी सिंह, तेलडीहा
पाकिस्तान को सदमा दे सरकार
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जब भी कोई फौजी शहीद होता है, तब उनका खून खौल उठता है। जब कारगिल युद्ध हुआ था, तब वे उसी सीमा पर थे, परंतु उस युद्ध में जितनी क्षति नहीं उठानी पडी, उससे ज्यादा क्षति पुलवामा में उठानी पड़ी है। यहा देश ने बिना लडाई लडे ही बहुत कुछ खो दिया है। सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए ताकि पाकिस्तान को गहरा सदमा लगे।
रिटायर्ड सैनिक ऑरनरी सूबेदार मेजर मुरारी कुमार, टीकापट्टी
मेरी जरूरत हो तो पीछे नहीं हटूंगा
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पाकिस्तान कायर देश है। उसके इस तरह पीछे से वार करने का अंतरराष्ट्रीय जगत में पर्दाफास करने के साथ-साथ मुंहतोड जवाब देना जरूरी है। इसके लिए अगर मेरी भी जरूरत होगी तो पीछे नहीं हटूंगा। कश्मीर में 1990 था जब वहा आतंकवादियों ने कहर बरपाना शुरू किया था। उसका जवाब भी हमेशा दिया जाता रहा। सरकार को हर परिस्थिति में पाकिस्तान से संबंध विच्छेद कर लेना चाहिए। पुलवामा की घटना ने तो उन्हें भीतर से हिला दिया है।
रिटायर्ड सूबेदार अनिल जायसवाल, बिरौली बाजार