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ऋषिदेव टोला में आज भी लोगों को है शौचालय और आवास का इंतजार ::: पार्ट-1

पूर्णिया। नगर निगम के वार्ड नौ की समस्याओं को उजागर करने के लिए दैनिक जागरण की टीम र

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 10:41 PM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 10:41 PM (IST)
ऋषिदेव टोला में आज भी लोगों को है शौचालय और आवास का इंतजार ::: पार्ट-1
ऋषिदेव टोला में आज भी लोगों को है शौचालय और आवास का इंतजार ::: पार्ट-1

पूर्णिया। नगर निगम के वार्ड नौ की समस्याओं को उजागर करने के लिए दैनिक जागरण की टीम रविवार को वहां मौजूद थी। Xह्नह्वश्रह्ल;जागरण आपके द्वार'कार्यक्रम के तहत यहां की समस्याओं को परखा गया और लोगों से भी बातचीत की गई। ऋषिदेव टोला मरंगा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पहुंचे लोगों ने स्थानीय समस्याओं की जानकारी दी। लोगों का कहना था कि इस वार्ड की मुख्य समस्या लोगों को आवास योजना और शौचालय का लाभ नहीं मिलना है। वार्ड में स्ट्रीट लाइट का अभाव है और जहां है भी तो वह मरम्मत के अभाव में या तो बंद पड़ा है या फिर उसमें बल्ब नहीं है। कई ऐसे परिवार हैं जो राशन कार्ड से आज भी वंचित हैं। डोर-टू-डोर कचरा उठाव की व्यवस्था नहीं है।

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नगर निगम क्षेत्र में होने के बावजूद कई सड़कें आज भी कच्ची हैं। शुद्ध पेयजल का उपलब्ध नहीं होना भी एक समस्या है। स्ट्रीट लाइट मेंटेनेंस के अभाव में दम तोड़ रही है। यह अलग बात है कि वार्ड में कुछ नई सड़कें भी बनी हैं। लेकिन नाला की समस्या आज भी है। लोगों का कहना था कि नगर निगम से अच्छी पंचायत थी, जिसमें सभी लाभ मिलता था। अब तो वृद्धावस्था पेंशन के लिए भी नगर निगम का चक्कर लगाना पड़ता है। जब तक वृद्धावस्था पेंशन हाथों हाथ मिलती थी तब तक तो इसका लाभ मिला। जबसे खाता में भेजने की बात हुई तो अब खाता ही नहीं खुल रहा है।

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---शौचालय उपयोग के लायक नहीं--

वार्ड नौ की अधिकांश आबादी ग्रामीण अंचल से जुड़ी हुई है। यहां वर्षाें पूर्व कुछ घरों में ¨रग शौचालय बनाया गया था। लेकिन वह आज भी आधा-अधूरा अवस्था में है। मात्र दो ¨रग के ऊपर प्लेट बैठा दिया गया है। जिसका आज तक उपयोग नहीं हुआ है। लोगों को आज भी शौचालय के लिए बाहर का रुख करना पड़ता है। महिलाएं हो, बच्चे या फिर बुजुर्ग। सभी लोगों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता है। पेयजल की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। लोगों का कहना है कि उनलोगों को चापाकल भी नहीं मिला है। स्वयं के खर्च से चापाकल गलाए हैं। यहां शुद्ध पेयजल की समस्या है। नगर निगम के स्तर पर पेयजल सप्लाई की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। औसत लोगों को आज भी आयरनयुक्त पानी ही नसीब हो रहा है।

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नाला की समस्या---

वार्ड में नाला की भी समस्या है। यह अलग बात है कि ग्रामीण अंचल होने के कारण बारिश का पानी खाली जगहों से निकल जाता है। लेकिन सघन बस्ती में पानी की निकासी एक बड़ी समस्या है। बारिश के दिनों में घर-आंगन में पानी जमा हो जाता है। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं रह जाता है। लोगों के समक्ष आवास की भी एक बड़ी समस्या है। लोग आज भी फूस और टीना के घरों में किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। लोगों का कहना था उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिला है।

सड़कों पर अंधेरा---

शाम ढलते ही सड़कों पर अंधेरा छा जाता है। मुख्य सड़क के किनारे कुछ विशेष जगहों पर कम-कम दूरी पर ही स्ट्रीट लाइट लगा दी गई है। तो अन्य जगहों पर लंबी-लंबी दूरी तक स्ट्रीट लाइट का अता-पता नहीं है। बिजली रहते हुए भी सड़कों पर अंधेरा छाया रहता है।


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