मध्य रात्रि को झंडा चौक पर फहराया गया तिरंगा
स्थानीय झंडा चौक पर मध्यरात्रि 12 बजकर एक मिनट पर सबसे पहले झंडा फहराया गया। यहां यह परंपरा पिछले 72 वर्षों से जारी है। विपुल कुमार ¨सह ने झंडोत्तोलन किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे। स्थानीय लोगों ने रात ठीक 12 बजे यह जमा हो गए। 12 बजकर एक मिनट में यहां पर सबसे पहले झंडा फहराया गया।
= जागरण संवाददाता, पूर्णिया:
पूर्णिया। झंडा चौक पर मंगलवार की मध्य रात्रि 12 बजकर एक मिनट पर सबसे पहले झंडा फहराया गया। यहां यह परंपरा पिछले 72 वर्षों से जारी है। विपुल कुमार ¨सह ने झंडोत्तोलन किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे। स्थानीय लोग रात ठीक 12 बजे यहां जमा हो गए। 12 बजकर एक मिनट में यहां पर सबसे पहले झंडा फहराया गया। लोगों ने आजादी का जश्न मनाया। इस मौके पर राजीव मराठा, जय प्रकाश साह, र¨वद्र करमाकार, जय प्रकाश साह, चंदन पटेल, दिलीप कुमार दीपक, संजय ¨सह, आजाद कुमार, शिबू दा, अनिल पंसारी, दिनकर स्नेही, सुलेखा राय, सुशील ¨सह, प्रियंका ¨सह, सुमेधा देवी, शारदा देवी आदि उपस्थित थे। इस मौके पर झंडात्तोलन के बाद विपुल कुमार ¨सह ने कहा कि यह अनुभूति अपने आप में रोम-रोम को पुलकित करने वाली है। देश में सबसे पहले आजादी का तिरंगा यहां फहराया गया था। यह परंपरा अभी भी यहां जारी है। यह क्षण अपने आप में आनंदित करने वाला है। इसी समय 1947 में देश की आजादी की घोषणा की गई थी। राजीव मराठा बताते हैं कि 1947 में जब देश आजाद हुआ था उस समय स्वतंत्रता सेनानी शमशुल हक ने अहम योगदान दिया था। उस वक्त के स्वतंत्रता सेनानियों में शमशुल हक काफी समय तक जीवित रहे और इस परंपरा को जारी रखा। जब तक वे जीवित रहे हर 14 अगस्त की रात्रि को झंडा चौक पर तिरंगा फहराने की अगुवाई वे स्वयं करते रहे। उनके गुजर जाने के बाद भी यह परंपरा कायम है। इस मौके पर काफी संख्या में स्थानीय लोग आजादी के उत्सव का गवाह बनने के लिए उपस्थित हुए। सभी ने कहा कि इतने वर्षों से यह परंपरा जारी है यह काफी गर्व की बात है। इस मौके पर सभी ने स्वतंत्रता दिवस की एक-दूसरे को बधाई दी।