डिप्टी मेयर चुनाव की तिथि तय होते ही तेज हुई कुर्सी की जंग
पूर्णिया । डिप्टी मेयर चुनाव के लिए मतदान की तिथि तय होते ही नगर निगम में कुर्सी की जंग तेज
पूर्णिया । डिप्टी मेयर चुनाव के लिए मतदान की तिथि तय होते ही नगर निगम में कुर्सी की जंग तेज हो गई है। राज्य चुनाव आयोग ने डिप्टी मेयर पद के लिए चुनाव के लिए पांच नवंबर का दिन मुकर्रर किया है। डीएम प्रदीप कुमार झा ने बताया कि इस आशय का पत्र आयोग से प्राप्त हुआ है। मतदान समाहरणालय सभागार में कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न कराया जायेगा।
गत जुलाई माह में मेयर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद से नगर निगम में शुरू हुआ राजनीतिक अस्थिरता का दौर अभी तक खत्म नहीं हुआ है। मेयर विभा कुमारी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बाद नये मेयर का चुनाव किये जाने के बाद लगा कि अब नगर निगम में सब कुछ सामान्य हो जायेगा। करीब डेढ़ माह तक सब कुछ सामान्य चला भी लेकिन डेढ़ माह के अंदर डिप्टी मेयर के खिलाफ 29 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर फिर राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर दी। चौंकाने वाली बात यह थी कि करीब डेढ़ माह पहले जिन पार्षदों ने मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में डिप्टी मेयर संतोष यादव के साथ कदम ताल किया था उनमें से कई आज उनके खिलाफ खड़े हैं।
गत 27 सितंबर को डिप्टी मेयर संतोष यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन दिया गया था। 46 वार्ड आयुक्तों में 29 ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये थे। उनमें आधा दर्जन से अधिक ऐसे वार्ड आयुक्त थे जो पहले संतोष यादव के समर्थक माने जा रहे थे। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए 15 अक्टूबर की तिथि तय की गई और गुप्त मतदान कराया गया तो अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 28 मत पड़े और विपक्ष में सिर्फ दो। यानि भारी मत से अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ। तभी से नये डिप्टी मेयर को लेकर नगर निगम में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई और कयासों का बाजार गर्म हो गया। हालांकि मेयर सविता देवी की ओर से शुरुआती दौर में ही घोषणा कर दी गई कि उनकी ओर से फिर संतोष यादव को ही उम्मीदवार बनाया जायेगा। उसके बाद से बैठकों को दौर शुरू हो गया। मेयर रूठे पार्षदों को मनाने के लिए लगातार प्रयास में जुटे हैं। जबकि दूसरे पक्ष की ओर से पूर्व मेयर विभा कुमारी ने कमान संभाल लिया है। उनके पक्ष के वार्ड आयुक्त उन पर डिप्टी मेयर के लिए उम्मीदवारी का दबाव बना रहे हैं। लेकिन अभी तक दूसरे खेमे से किसी का नाम उभर कर सामने नहीं आया है। इस बीच चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने पांच नवंबर की तिथि तय कर दी है। तिथि तय होते ही दोनों खेमे में सरगर्मी काफी तेज हो गई है। दोनों पक्ष अपने समर्थक वार्ड आयुक्तों को गोलबंदी करने में जुट गए हैं और कुर्सी के लिए हर कवायद कर रहे हैं।