Move to Jagran APP

फांसी की सजा बरकरार, महिलाओं ने किया स्वागत

पूर्णिया। बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट के चार दोषियों को फांसी की सजा बरकरार रखी है। फांसी सजा बरकरार रखे जाने के फैसले का लोगों ने स्वागत किया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 May 2017 09:12 PM (IST)Updated: Fri, 05 May 2017 09:12 PM (IST)
फांसी की सजा बरकरार, महिलाओं ने किया स्वागत
फांसी की सजा बरकरार, महिलाओं ने किया स्वागत

पूर्णिया। बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट के चार दोषियों को फांसी की सजा बरकरार रखी है।

loksabha election banner

फांसी सजा बरकरार रखे जाने के फैसले का लोगों ने स्वागत किया है। यहां तक कि कुछ लोग जो फांसी की सजा को लेकर अलग राय रखते हैं उन्होंने भी इस मामले में फांसी की सजा को सही ठहराया। बस में एक लड़की को छह लोगों ने गैंगरेप कर बस से बाहर फेंक दिया था। इलाज दौरान लड़की की मौत हो गई थी। इस घटना से पूरा देश आंदोलित हो गया था देशभर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए थे। निचली अदालत से इस मामले में चार आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने भी इस मामले में सजा को बरकरार रखा था। शुक्रवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में फांसी की सजा बरकरार रखा। इस मामले में लोगों ने अदालत के फैसले को सही ठहराया है।

5 पीआरएन - 23

फांसी की सजा का मोटे तौर पर मैं समर्थक नहीं हूं। किसी की जान लेने का हक हमें नहीं है। यह मामला रेयर ऑफ रेयरेस्ट था इसलिए इसमें ऐसे फैसले की दरकार थी जिससे समाज को सही संदेश पहुंचे। यह वक्त फांसी की सजा होनी चाहिए या नहीं इस पर बहस का वक्त नहीं है इसलिए इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए जिससे कभी कोई ऐसा दुस्साहस नहीं कर सके।

हेमंत कुमार

5 पीआरएन - 25

निश्चित रूप से यह अंतिम अधिकतम सजा सभ्य समाज में दी जा सकती है जो देश की सवरच्च अदालत ने सुनाई है। चार लोगों को फांसी की सजा निश्चित रूप से रेयर आफ द रेयरेस्ट की श्रेणी में आता है। इस जघन्यतम अपराध के बाद यही तार्किक परिणति हो सकती थी। यह फैसला निश्चित रूप से लड़की के माता-पिता ही नहीं चार सालों से न्याय के लिए संघर्षरत अन्य लोगों के लिए राहत की बात है।

अन्नु ¨सह

5 पीआरएन - 26

अब निर्भया के दोषियों को जल्द से फांसी पर लटकाना चाहिए। जिस समाज में नारी की पूजा की जाती है उस समाज में ऐसे अपराध के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे लोगों को चौराहे पर फांसी दी जानी चाहिए। ऐसे अपराध करने वाले के मन में दहशत हो।

मध्यकालीन समाज होता तो ऐसे अपराधियों को हाथियों के पैरों तले कुचलवा देना चाहिए।

पूजा कुमारी

5 पीआरएन -27

ऐसे अपराधियों को जेल में रखने से कोई फायदा नहीं है। अदालत ने केवल पीड़ित लड़की जिसकी मौत हो चुकी है यह उसके लिए ही न्याय की घड़ी नहीं है बल्कि देश की सभी बेटियां को ऐसी ही सजा की उम्मीद थी। यह मामला नजीर बनेगा और आने वाले वक्त में बहन और बेटियों पर बुरी नजर डालने वालों के सीख मिलेगी। इस फैसले का देश को इंतजार था। यह दिल्ली नहीं देश के लिए बहुप्रतिक्षित मामला था।

राज रानी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.