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पूर्णिया: महागठबंधन की महारैली के मंच पर गूफ्तगू के थे अपने मायने, सड़कों पर बदले शहर की कहानी भी...

सुबह दस बजे से सड़कों पर चहल-पहल बढ़ गई थी। तकरीबन हर रुट में डेढ़ से दो किलोमीटर दूर बने पार्किंग स्थल पर वाहनों से उतर लोग रैली स्थल की ओर जा रहे थे। यह रफ्तार बारह बजते-बजते और तेज हो गई। महिलाओं की संख्या भी इसमें थी।

By Prakash VatsaEdited By: Yogesh SahuPublished: Sat, 25 Feb 2023 08:51 PM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2023 08:51 PM (IST)
पूर्णिया: महागठबंधन की महारैली के मंच पर गूफ्तगू के थे अपने मायने, सड़कों पर बदले शहर की कहानी भी...
महागठबंधन की महारैली के मंच पर गूफ्तगू के थे अपने मायने, सड़कों पर बदले शहर की कहानी भी...

राजीव कुमार, पूर्णिया। रंगभूमि मैदान पर यूं तो सुबह दस बजे से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी, लेकिन यह दोपहर बारह बजे बाद ही परवान चढ़ा।

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एक बजने में चंद मिनट की देर थी कि महारैली के आकर्षण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी यहां पधार चुके थे।

मंच की अग्रिम पंक्ति में बैठने का सौभाग्य कई बड़े नेताओं को नहीं मिल सका, वे पीछे की कतार में मौजूद रहे। संबोधन चलता रहा और मंच पर भी लोगों की निगाहें टिकी रहीं।

मंच पर कौन नेता किनसे बात कर रहे हैं, उसके मायने भी निकलते रहे। राजद नेता तेज प्रताप भी मंच पर थे, लेकिन समयाभाव में उन्हें संबोधन का मौका नहीं मिला।

तेज प्रताप पर बनी रही लोगों की नजर

संबोधन नहीं होने के बावजूद युवाओं के बीच तेज प्रताप आकर्षण का केंद्र बने रहे। वे किससे बात कर रहे हैं, क्या कर रहे हैं, इस पर भी नजर थी।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के संबोधन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का उनके साथ संबोधन के अपने मायने निकल रहे थे।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने महागठबंधन को पूर्ण सशक्त व फलक बढ़ाने पर बैठकर बात होने की वकालत की थी। जाहिर तौर पर राष्ट्रीय फलक पर विपक्षी एकजुटता व फिर नेतृत्व आदि से संबंधित यह इशारा था।

सुबह से ही बढ़ गई थी चहल-पहल

इन इशारों से अलग रहने वाली भी बड़ी भीड़ थी। सुबह दस बजे से सड़कों पर चहल-पहल बढ़ गई थी। तकरीबन हर रुट में डेढ़ से दो किलोमीटर दूर बने पार्किंग स्थल पर वाहनों से उतर लोग रैली स्थल की ओर जा रहे थे।

यह रफ्तार बारह बजते-बजते और तेज हो गई। महिलाओं की संख्या भी इसमें थी। किशोरों व युवाओं में कुछ ज्यादा उत्साह था। पोस्टर-बैनर से सजे शहर में लोगों की कतार से अलग ही नजारा बन चुका था।

भीड़ चाय व पान दुकानों पर भी थी और कुछ लोग बाजारों का भ्रमण भी कर रहे थे। बदले शहर पर कहानी भी थी। बीच सड़क से गुजरती सिक्स लेन सड़क भी आकर्षण का केंद्र था।

इसी बहाने खरीददारी की भी धुन थी। वैसे रैली के समापन में देरी से लोगों के सब्र का बांध भी छलकने लगा था और लोग सरकने भी लगे थे।

रैली संपन्न होने के बाद शहर में यातायात का भारी दबाव भी रहा। सुबह से ही सड़क पर डटी यातायात पुलिस भी पस्त होने लगी थी। थानों की पुलिस भी जगह-जगह मोर्चा संभाल रखा था।

चलंत दुकानों की रही बहार, ग्राहकों पर थी नजर

रैली स्थल के इर्द-गिर्द मेले जैसा नजारा रहा। चाय-पान से लेकर नाश्ते व पानी आदि की दुकानें ठेलों पर सजी थीं। दुकानदारों की निगाहें अपने ग्राहकों पर थीं।

पान पुड़िया की दुकान सजाने वाले रतनदीप ने कहा कि वे ठीक से भाषण नहीं सुन पाए। दुकान पर ग्राहक थे। उम्मीद के अनुसार बिक्री हुई है।


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