जैविक खाद उत्पादन को नहीं मिल रहा बढ़ावा
पूर्णिया। बनमनखी अनुमंडल अंतर्गत जैविक खाद उत्पादन की कितनी यूनिट है इसकी जानकारी कृषि विभाग क
पूर्णिया। बनमनखी अनुमंडल अंतर्गत जैविक खाद उत्पादन की कितनी यूनिट है इसकी जानकारी कृषि विभाग के अधिकारी को नहीं है। प्रखंड उद्यान पदाधिकारी ब्रजेश कुमार कहते हैं कि पूर्व में बनमनखी क्षेत्र के कुछ किसानों को इसके लिए अनुदान भी दिया गया था, लेकिन कितने को इसकी जानकारी वे नहीं दे पाए। बोले कि एक यूनिट पर पाच हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है।
शालीग्राम ऋ षि, भंगहा के पूर्व पंसस उमेश भारती, राजद अतिपिछड़ा के जिलाध्यक्ष रमण कुमार यादव आदि किसानों का कहना है कि राज्य सरकार ने रासायनिक खादों के होनेवाले दुष्प्रभाव को रोकने के लिए जैविक खाद के उत्पादन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया परंतु विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण इकाई लगाने के इच्छुक किसानों को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। खूंट गाव के किसान अरविंद यादव कहते हैं कि वे वषरें से जैविक खाद का उत्पादन व प्रयोग कर रहे हैं। पूर्व में कृषि विभाग के एक अधिकारी आकर उनकी यूनिट को देख चुके हैं, किंतु किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिला। चादपुर भंगहा के मुखिया चंदन पासवान, पंसस किशोर कुमार यादव, मिरचाईबाडी के शैशव कुमार यादव ने बताया कि सरकार घोषणाओं तक सिमटी हैं। रूपौली कामत टोला के किसान हरि प्रसाद सिंह, जय प्रकाश सिंह, रामपुर तिलक के हरि प्रसाद भगत आदि किसानों का मानना है कि जैविक खाद पर लागत कम आने के साथ-साथ फसल भी लहलहाती है तथा धरती की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। इसी को देखते हुए सरकार ने जैविक खाद के उपयोग पर बल दिया लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण जैविक खाद के उत्पादन को बढ़ावा नहीं मिल रहा है। वनस्पति विज्ञान के प्रो. प्रेम कुमार जायसवाल कहते हैं कि यदि विभाग द्वारा वर्मी कंपोस्ट उत्पादन को बढ़ावा मिले और ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए जाएं तो प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जा सकता है। बनमनखी के प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी मु. हसजाम कहते हैं कि यहा कितने यूनिट हैं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है वे यहा के प्रभार में हैं। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में बनमनखी को 360 यूनिट लगाने का लक्ष्य विभाग द्वारा दिया गया है।