पालतू से प्रेम की कहानी, पिंडदान के बाद भंडारे की तैयारी
पूर्णिया। कुत्ते के देहात के बाद हिदू रीति से मालिक ने उसका दाह-संस्कार कर किसी पालतू पशु
पूर्णिया। कुत्ते को सबसे वफादार जानवर माना जाता है। पूर्णिया के मधुबनी मोहल्ले के निवासी प्रमोद चौहान ने इस वफादारी का ऋण अपने पालतू कुत्ते की मौत के बाद चुकाया है। उन्होंने उसका पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ दाह-संस्कार किया। पिंडदान के बाद अब भंडारे की तैयारी भी की जा रही है।
पिछले 20 वर्षो से प्रमोद चौहान न्यूजीलैंड में रह रहे हैं। वह न्यूजीलैंड में एक कुत्ता पालते थे, जिसका नाम उन्होंने लाइकन रखा था। लाइकन 10 वर्षो तक उनके परिवार के सदस्य की तरह रहा। लाइकन की मौत के बाद प्रमोद चौहान ने उसे अपना बेटा मानकर मुखाग्नि दी। भारत आकर उन्होंने पटना की गंगा नदी में उसकी अस्थियां विसर्जित की और उसकी आत्मा की शांति के लिए गया में पिंडदान भी किया। अब उसके श्राद्ध कर्म के अंतिम दिन अपने आवास पर 23 फरवरी को वह भंडारा कर रहे हैं। गरीबों को भोजन कराने के साथ प्रमोद दान भी करेंगे। 20 वर्ष पूर्व पूर्णिया से जाकर प्रमोद ने न्यूजीलैंड में लकड़ी का कारोबार शुरू किया था। आज चीन समेत कई देशों में उनके उत्पाद जाते हैं। प्रमोद बताते हैं कि बेटे के जाने के बाद जो कमी आती है, वही कमी लाइकन के जाने के बाद उनके जीवन में आई है। उनकी छोटी बेटी भी लाइकन के श्राद्ध के लिए आई है। प्रमोद की पत्नी रेखा सिंह ने बताया कि बड़ी बेटी विष्णुप्रिया एवं छोटी बेटी तनु प्रिया के साथ लाइकन भी उनके परिवार का सदस्य था।