डेंगू मच्छर को भगाने के लिए एक्सपायरी दवा का हो रहा छिड़काव
पूर्णिया। जिला मलेरिया विभाग धुंआ उड़ाकर लोगों के आंखों में धूल झोंक रहा है। स्वास्थ्य विभाग ड
पूर्णिया। जिला मलेरिया विभाग धुंआ उड़ाकर लोगों के आंखों में धूल झोंक रहा है। स्वास्थ्य विभाग डेंगू मच्छर के प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए फॉगिंग में एक्सपायरी दवा का इस्तेमाल कर रहा है। जो डेंगू के मच्छरों पर बेअसर साबित हो रही है। इस संबंध में लोगों का कहना है कि छिड़काव के बाद भी मच्छरों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। पिछले दो महीने से डेंगू का प्रकोप बढ़ने के बाद से ही जिला मलेरिया विभाग लगातार दवा का छिड़काव कर रहा है। फॉगिंग मशीन में मालाफ्यून दवा का इस्तेमाल किया जाता है। मजे की बात यह है कि 2019 में मालाफ्यून दवा की ना ही राज्य से आपूर्ति हुई है और ना ही स्थानीय स्तर पर इसकी खरीद की गई है। फिर फॉगिंग में कौन सी दवा इस्तेमाल की जा रही है। हालांकि विभाग दावा कर रहा है कि डेंगू को लेकर 42 राउंड छिड़काव किया जा चुका है। जब आपूर्ति हुई ही नहीं तो इतनी बड़ी मात्रा में छिड़काव के लिए दवा कहां से आई। इसका जवाब स्वास्थ्य विभाग के बाबुओं के पास नहीं है।
सीएस व मलेरिया पदाधिकारी को नहीं है दवा आपूर्ति की जानकारी
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. मधुसूदन प्रसाद ने कहा कि उन्हें इस बात का ब्यौरा विभाग से प्राप्त करना होगा। जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. आरपी मंडल का कहना है कि कब और कितनी दवा की आपूर्ति राज्य से हुई उसकी उन्हें जानकारी नहीं है। इन दोनों ने माना की 2018 में दवा की आपूर्ति हुई थी। फॉगिंग में मालाफ्यून दवा का ही इस्तेमाल किया जाता है। जिले में डेंगू के बढ़ते मामले के बाद भी फॉंिगंग को लेकर विभाग की यह लापरवाही कई सवाल खड़े कर रही है। शहर में आखिर दो महीने से फॉगिंग की जा रही है। जो मच्छरों पर बेअसर साबित हो रही है।
70 पार कर चुकी है एलिजा टेस्ट में पुष्टि मरीजों की संख्या
जिले में एलिजा टेस्ट में पुष्टि मरीज की संख्या अब 70 पार कर चुकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 2018 में ही पांच लीटर दवा की आपूर्ति हुई थी। 17 सेशन साइट में इस दवा का छिड़काव किया गया था। उसके बाद दवा खत्म हो गई थी। अब 2019 के लिए विभाग के पास छिड़काव के लिए मालाफ्यून दवा उपलब्ध नहीं है। विभाग का दावा है कि अबतक 42 सेशन साइट में मालाफ्यून दवा फॉगिंग में इस्तेमाल की जा चुकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फॉगिंग में दस वर्ष पूर्व की एक्सपायरी दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है। दवा को उस वक्त स्टॉक में शून्य बताया गया था।