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पूर्णिया में लगेगा इथनॉल प्लांट, किसानों को मिलेगा लाभ

औद्योगिक विकास की ओर अग्रसर पूर्णिया को इथनॉल उद्योग एक कदम और आगे ले जाएगा। सरकार द्वारा इथनॉल प्रोत्साहन नीति 2021 को मंजूरी देने के साथ ही जिले में इसका प्लांट लगाने की कवायद शुरू हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 07:47 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 07:47 PM (IST)
पूर्णिया में लगेगा इथनॉल प्लांट, किसानों को मिलेगा लाभ
पूर्णिया में लगेगा इथनॉल प्लांट, किसानों को मिलेगा लाभ

पूर्णिया। औद्योगिक विकास की ओर अग्रसर पूर्णिया को इथनॉल उद्योग एक कदम और आगे ले जाएगा। सरकार द्वारा इथनॉल प्रोत्साहन नीति 2021 को मंजूरी देने के साथ ही जिले में इसका प्लांट लगाने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए केनगर प्रखंड अंतर्गत परोरा में करीब 15 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजय कुमार सिंहा ने बताया कि प्लांट लगाने की स्वीकृत दे दी गई है। प्लांट स्थापना का काम तेजी से चल रहा है। अगले साल मार्च तक इसका उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इसके शुरू होने से रोजगार सृजन के साथ यहां के मक्का एवं धान किसानों को काफी लाभ मिलेगा।

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प्रतिदिन 65 किलो लीटर होगा उत्पादन

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जिले में इथनॉल उत्पादन इकाई लगाने का काम तेजी से चल रहा है। स्थानीय उद्योगपति विशेष वर्मा को यहां प्लांट लगाने की अनुमति दी गई है। उद्योग विभाग से अनुमति मिलने के बाद जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी की दूर परोरा में इसका निर्माण शुरू कर दिया गया है। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजय सिंहा ने बताया कि मार्च तक प्लांट बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि प्लांट की क्षमता 65 किलोलीटर प्रतिदन है। यानि एक दिन में यहां 65 हजार लीटर इथनॉल का उत्पादन होगा। दरअसल, इथनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर वाहनों के ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे प्रदूषण काफी कम होगा। वर्ष 2030 तक पेट्रोल में इसका 20 फीसद मिश्रण की योजना है।

मक्का और ब्रोकन राइस से तैयार होगा इथनॉल

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देश में फिलहाल गन्ने से इथनॉल तैयार किया जाता है। लेकिन पूर्णिया में बन रहे प्लाँट में इथनॉल मक्का और ब्रोकन राइस यानि खराब क्वालिटिी के चावल से तैयार किया जाएगा। दरअसल जिले में मक्का एवं धान की काफी पैदावार होती है। जिले में दोनों ही फसल सीजन में 90 से 95 हजार हेक्टेयर में लगाए जाते हैं। मक्का का बड़े पैमाने पर यहां उत्पादन होता है साथ ही धान की भी अच्छी फसल होती है। खासकर बाढ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां मोटे क्वालिटी के चावल अधिक होते हैं। अभी भी सरकारी गोदामों में यहां दो-तीन साल पुराने चावल पड़े हैं। ऐसे में यहां इथनॉल के लिए जिले में ही आसानी से कच्चा माल मिल जाएगा जिससे इसकी लागत कम होगी।

किसानों को मिलेगा लाभ

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विदित हो कि जले में मक्का और धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है लेकिन दोनों ही फसलों का किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। खासकर थोड़ी खराब क्वालिटी की फसल तो कौड़ी के दाम बेचने पड़ते हैं। लेकिन इथनॉल प्लांट खुल जाने से यहां खराब क्वालिटी के मक्का एवं धान की भी अच्छी कीमत मिल जाएगी जिससे किसानों को लाभ मलेगा। साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलेगा।मनोज कुमार


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