Move to Jagran APP

सदर अस्पताल की ओपीडी भगवान भरोसे, न डॉक्टर ना कर्मी

पूर्णिया। सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीज परेशान रहते हैं। वहां उनकी देखरेख भगवान भरोसे

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 09:51 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 09:51 PM (IST)
सदर अस्पताल की ओपीडी भगवान भरोसे, न डॉक्टर ना कर्मी
सदर अस्पताल की ओपीडी भगवान भरोसे, न डॉक्टर ना कर्मी

पूर्णिया। सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीज परेशान रहते हैं। वहां उनकी देखरेख भगवान भरोसे होता है। वहां कभी डॉक्टर का गायब रहना तो कभी रसीद काटने वाले कर्मी नदारद मिलते हैं। मंगलवार शाम की पाली में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। दावे के बावजूद भी ओपीडी की व्यवस्था बदहाल थी। शाम 4 बजकर 52 मिनट तक पर्ची काटने वाले कर्मी नहीं पहुंचे थे। बता दें कि अस्पताल में ओपीडी सेवा शाम की पाली में चार बजे से शुरू होकर छह बजे तक संचालित होती है। पर्ची आधा घंटा पहले ही काटना बंद कर दिया जाता है लेकिन मंगलवार को तस्वीर कुछ अलग थी। एक घंटे बाद भी कोई नहीं पहुंचा था। पर्ची काटने वाले कर्मी पांच बजे तक गायब रहने के कारण मरीज काफी परेशान थे। इसका असर यह हुआ था कि उमस और गर्मी से मरीजों की परेशानी को सहज ही समझा जा सकता है। एक तरफ भीड़ बढ़ती जा रही थी तो दूसरी ओर पर्ची काटने वाले गायब थे। 9 डॉक्टर ओपीडी सेवा के लिए बैठते हैं लेकिन अधिकांश डॉक्टर पांच बजे तक नहीं पहुंचे थे। कई ऐसे मरीज थे जो सुबह के पाली में पहुंचे थे भीड़ के कारण नहीं दिखा पाए थे। जलालगढ़ के रमा देवी ने बताया कि सुबह आए थे लेकिन डॉक्टर साहब काफी देर से बैठे और जल्दी उठ गए। गौरतलब है कि सदर अस्पताल में हाल के दिनों में एक हजार से अधिक मरीज प्रतिदिन इलाज कराने पहुंचते हैं।

loksabha election banner

दो महीने से अल्ट्रासाउंड व एक्सरे सेवा है बंद

एक्सरे और अल्ट्रासाउंड सेवा बंद होने के कारण इसका असर ओपीडी में भी पड़ने लगा है। दो सौ से अधिक मरीज घटे हैं। अब शाम के पाली में डॉक्टर और पर्ची काटने वाले कर्मी भी नहीं मिलते हैं। परिजन निराश नजर आते हैं। सुरेश मंडल ने बताया कि समुचित इलाज नहीं मिलने से घंटों खड़ा होने का लाभ नहीं मिलता है। डॉक्टर साहब काफी मशक्कत के बाद देख लेते हैं तो अगर अल्ट्रासाउंड और एक्सरे की जरूरत हुई तो वह बंद है। मधुबनी के शंकर साह का कहना है कि जांच भी पूरा नहीं होती है। पैथोलॉजी में सभी तरह के जांच के लिए कभी केमिकल नहीं होने का रोना रोया जाता है तो कभी कर्मी ही नहीं मिलते हैं। ओपीडी सेवा अब बेमानी साबित हो रही है। ना ही जांच और ना ही दवा और ना ही डॉक्टर ऐसे में ओपीडी व्यवस्था का भगवान ही मालिक है।

ओपीडी में रहता है बिचौलिए का कब्जा

कई मरीजों ने बताया कि यहां पर कतार में खड़े रहो तो कई लोग आकर पूछते हैं कि मरीज कौन है। क्या बीमारी है बाहर सस्ते में दिखा देंगे और जांच भी हो जाएगी। यहां खड़े रहने से कोई फायदा नहीं है। ना ही डॉक्टर ठीक से देखेंगे और ना ही कोई जांच ही हो पाएगा। किशनदेव का कहना है कि ऐसे लोग बराबर आकर संपर्क करते रहते हैं। मना कर दो तो दूसरे लोग पहुंच जाते यहां तक की अस्पताल के कर्मियो के साथ पहुंचते हैं। कहते हैं यहां ना ही कोई टेस्ट होगा और डॉक्टर ही देखेंगे। बाहर सस्ते में दिखा देंगे। कई बार गरीब मरीज इन बिचौलिए के चक्कर में पड़ जाते हैं। कई मरीज तो कहते हैं यहां कर्मी जानबूझ कर विलंब करते हैं ताकि लोग तंग आकर बिचौलिए के माध्यम से निजी डॉक्टर के पास पहुंच जाएं और उनका कमीशन मिल जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.