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एसएनसीयू वार्ड नवजातों को दे रहा नवजीवन

पूर्णिया। जिले में शिशु मृत्यु दर काफी उच्च है। नवजात को समुचित चिकित्सकीय सुविधा देकर इस दर काफी हद

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 10:05 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 10:05 PM (IST)
एसएनसीयू वार्ड नवजातों को दे रहा नवजीवन
एसएनसीयू वार्ड नवजातों को दे रहा नवजीवन

पूर्णिया। जिले में शिशु मृत्यु दर काफी उच्च है। नवजात को समुचित चिकित्सकीय सुविधा देकर इस दर काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस लिहाज सदर अस्पताल का एसएनसीयू वार्ड वरदान साबित हो रहा है। बीमार नवजात को इस वार्ड की सुविधा से नवजीवन मिल रहा है। 2030 तक नवजात और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति हजार में 12 तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों प्रति हजार में 2.5 फीसद तक करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने में सदर अस्पताल का एसएनसीयू वार्ड काफी मददगार साबित हो रहा है।

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एक साल में वार्ड की उपलब्धि सराहनीय

जून से दिसम्बर 2017 तक 3599 नवजातों को भर्ती किया गया है जिसमें 2224 स्वस्थ होकर वापस गए। 727 को उच्च चिकित्सा केंद्र के लिए रेफर किया गया। यहां की उपलब्धि साठ प्रतिशत से अधिक हैं। जटिल मामले में ही इस कक्ष में भर्ती की जाती है। इसी कारण कक्ष में मृत्यु दर थोड़ी अधिक होती है। इसमें सबसे अहम बात ये है कि अस्पताल में जन्मे बच्चे और बाहर के अस्पताल में जन्म लिये बच्चे के लिए अलग अलग वार्ड बनाया गया है। बाहर से आये बच्चे की मौत की दर अधिक है।

24 बेड के साथ सुविधाओं को हुआ है विस्तार

यहां पहले से 18 बेड हैं जिसे बढ़ाकर अब 24 कर दिया गया है। यहां केंद्रीकृत ऑक्सीजन आपूर्ति व्यवस्था हाल ही में लगी है। सिविल सर्जन डॉ एमएम वसीम का कहना है कि यह वार्ड यूनिसेफ के सहयोग से संचालित हो रहा है और यहां उच्च कोटि की सुविधा मिल रही है। यहां काफी समर्पित स्टाफ कार्यरत हैं। एक साल में वार्ड की उपलब्धि सराहनीय है। जून से दिसम्बर 2017 तक 3599 नवजातों की भर्ती की गई है जिसमें 2224 स्वस्थ होकर वापस गए। 727 को उच्च चिकित्सा केंद्र के लिए रेफर किया गया।

नवजातों में होता है संक्रमण का खतरा

नौनिहालों की सुरक्षा के लिए उचित प्रशिक्षण और समान से लैश किया गया। नवजातों में संक्रमण का काफी खतरा रहता है। डॉक्टर के मुताबिक बच्चे की मौत का प्रमुख कारण संक्रमण भी होता है। अन्य कारणों में कम वजन, सांस की तकलीफ, और जॉन्डिस है। दरअसल कर्मियों के प्रयास से अधिकांश बच्चों की जान बचाने की कोशिश की जाती है। बाहर से आये जटिल मामलों में ही मौत की संख्या उच्च है। अस्पताल प्रबंधक ¨सपी कुमारी का कहना है कि स्टील बर्थ के दौरान होने वाली मौतों को कम करने में एसएनसीयू वार्ड काफी कारगर साबित हुआ है।

सीमांचल के इलाके में शिशु मृत्यु दर है उच्च

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक सीमांचल के जिलों में प्रति हजार शिशु मृत्यु दर काफी उच्च है। किशनगंज में प्रति हजार 56, पूर्णिया में 53, अररिया में 52 और कटिहार में 52 हैं। जिले में शिशु रोग विशेषज्ञ सुभाष कुमार का कहना है कि इस दर को कम करने के लिए कई स्तर पर काम करना जरूरी है। बीमार नवजातों को तुरंत सघन चिकित्सकीय सुविधा देनी होती है। इसके लिए सदर अस्पताल का एसएनसीयू वार्ड बेहतर कार्य कर रहा है।

स्टाफ की संख्या में भी होगी वृद्धि

आधुनिक सुविधाओं से लैस एसएनसीयू वार्ड में स्टाफ संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी। यहां वर्तमान में एक डॉक्टर, एक बच्चा रोग विशेषज्ञ, छह जीएनएम, दो एएनएम, एक डीईओ, चार ममता, दो वार्ड एटेंडेंट, एक स्वीपर हैं। जल्द ही स्टाफ की संख्या में वृद्धि होगी तथा विशेषज्ञ डॉक्टर भी पदस्थापित होंगे।

नवजातों में संक्रमण का काफी खतरा रहता है। डॉक्टर के मुताबिक बच्चे की मौत का प्रमुख कारण संक्रमण भी होता है। अन्य कारणों में कम वजन, सांस की तकलीफ, और जॉन्डिस है। बाहर से आये जटिल मामलों में ही मौत की संख्या उच्च है।


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