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केले के पेड़ से अब चमकेगी किसानों की किस्‍मत, होगी इनकम ही इनकम... जानें इनकी खूबियां

केले की खेती करनेवाले किसानों के लिए परेशानी का सबब रहा थंब अब आय का स्रोत बनेगा। पूर्णिया में केले के थंब से बनाना फाइबर बनेगा। इससे चमकेगी किसानों की किस्‍मत। जानें खबर इस में।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 06:02 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 09:37 PM (IST)
केले के पेड़ से अब चमकेगी किसानों की किस्‍मत, होगी इनकम ही इनकम... जानें इनकी खूबियां
केले के पेड़ से अब चमकेगी किसानों की किस्‍मत, होगी इनकम ही इनकम... जानें इनकी खूबियां

पूर्णिया, मनोज कुमार। केले की खेती करनेवाले किसानों के लिए परेशानी का सबब रहा थंब अब उनकी आय का स्रोत बनेगा। पूर्णिया में केले के थंब से 'बनाना फाइबर' बनेगा। इससे कपड़ा (नॉन ओवेन फैब्रिक्स) तैयार होगा। यहां केला के थंब से फाइबर (रेशा) बनाने की इकाई स्थापित की गई है। रेशे का उपयोग हैंडीक्राफ्ट व एयरप्रूफ आइटम्स के अलावा एअरकंडीशनर आदि में भी होगा। इस फैक्ट्री से कोसी-सीमांचल के किसानों को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है। 

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अभी एक इकाई की शुरुआत

सरकार ने एक कलस्टर में 10 से 15 छोटी यूनिटें तैयार करने का निर्देश दिया है, लेकिन अभी यहां इसकी एक इकाई शुरू की गई है। बेलौरी निवासी किसान नीरज कुमार ने एनएच 31, बाइपास रोड के समीप इसकी फैक्ट्री लगाई है। पूर्णिया में उद्योग विभाग के महाप्रबंधक संजय वर्मा ने बताया कि यह पूर्णिया में बिहार की दूसरी और सीमांचल की पहली बनाना फाइबर फैक्ट्री है। केले के थंब से रेशा तैयार करने की पहली इकाई बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थापित की गई है। वहां बनाना फाइबर का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है। पूर्णिया में स्थापित इकाई अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन उत्पादन शुरू हो गया है। इकाई के प्रोपराइटर नीरज कुमार ने बताया कि अभी कम पैमाने पर रेशे तैयार हो रहे हैं। मार्केटिंग में भी परेशानी आ रही है। उन्होंने बताया कि कलस्टर के रूप में इकाई लगाने के बाद इससे अधिक लाभ मिल सकेगा।

क्षेत्र के किसानों का प्रमुख कैश क्रॉप है केला

सीमांचल और कोसी के जिलों में केला किसानों का सबसे बड़ा कैश क्रॉप बनकर उभरा है। पूर्णिया प्रमंडल के चार जिलों में करीब 15 हजार हेक्टेयर में केले की खेती होती है। अकेले पूर्णिया जिले में करीब चार हजार हेक्टेयर में इसकी खेती होती है। कोसी और पूर्णिया के अलावा भागलपुर प्रमंडल में भी बड़े पैमाने पर केले की खेती होती है। केले से संबंधित फैक्ट्री नहीं होने से यहां के किसानों को पर्याप्त आय नहीं हो पाती है। केले की कीमत तो किसानों को मिल जाती थी लेकिन उसके तने यों ही बर्बाद जाते थे। उसे साफ कराने में मजदूरी अलग से लगती थी।


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