अभियान चलाकर मानसिक रोग के प्रति किया जा रहा है जागरूक
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आमतौर पर लोग जागरूक नहीं हैं। बदलते परिवेश में मानसिक रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। अवसाद समेत कई मानसिक रोगों के शिकार लोग समाज और परिवार में उपेक्षित रहते हैं। ऐसे रोगियों को डॉक्टर और दवा की जरूरत इस बात की समझे में देरी की जाती है।
पूर्णिया। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आमतौर पर लोग जागरूक नहीं हैं। बदलते परिवेश में मानसिक रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। अवसाद समेत कई मानसिक रोगों के शिकार लोग समाज और परिवार में उपेक्षित रहते हैं। ऐसे रोगियों को डॉक्टर और दवा की जरूरत इस बात की समझे में देरी की जाती है। खासकर ग्रामीण इलाके में तो इसे बीमारी माना ही नहीं जाता है बल्कि अंधविश्वास के चक्कर में लोग झाड़-फूंक या तांत्रिक के चक्कर में फंस जाते हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है। सदर अस्पताल स्थित मानसिक चिकित्सा विभाग ऐसे रोगियों की पहचान कर इलाज करने के लिए जिला मानसिक कार्यक्रम के अंतर्गत एक अभियान चला रहा है।
शिक्षकों और पंचायत सदस्यों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
इसके अंतर्गत प्रखंड स्तर पर मानसिक रोगियों की पहचान करने के लिए शिक्षकों और पंचायत सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह अभियान पूरे जिले में संचालित किया जा रहा है। विभाग के चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर राजेश भारती का कहना है कि मरीजों की संख्या में धीरे -धीरे बढ़ोतरी हो रही है। ग्रामीण रोगियों तक पहुंचने के लिए प्रखंड स्तर पर संचालित स्कूलों के शिक्षक और पंचायत सदस्यों प्रशिक्षित किया गया है। वहां ट्रे¨नग कैंप का आयोजन किया जा रहा है। कई महीने से विभिन्न प्रखंडों में यह कैंप आयोजित की जा रही है। इसके आयोजन से सदर अस्पताल में मानसिक रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी भी हुई है।
रोग का समुचित इलाज जरूरी
विभाग के मनोवैज्ञानिक पल्लव कुमार कहना है कि प्रशिक्षण के कारण लोगों में जागरूकता बढ़ी है। मानसिक रोग भी अन्य रोगों की तरह ही है जो ठीक हो सकता है। प्रत्येक मानसिक रोगी पागल नहीं होते हैं। कई तो महज काउसि¨लग से ही ठीक हो जाते हैं उन्हे दवा की जरूरत नहीं होती है। मानसिक रोगी का इलाज लंबा चलता है। वर्तमान में विभाग में मनोचिकित्सक डॉ. राजेश भारती, मनोवैज्ञानिक पल्लव कुमार, सोशल वर्कर जेनुअल एडी आदि है। ओपीडी के दो पाली में विभाग में मरीजों को देखा जा रहा है। अबतक साढ़े चार हजार से अधिक मानसिक रोगी यहां से इलाज करवा रहे हैं। दरअसल इसका इलाज काफी लंबा चलता है।
अवसाद के मरीजों की संख्या अधिक
युवाओं में अवसाद और मंदबुद्धि बच्चों की संख्या सबसे अधिक है। यहां पहुंचने वाले मानसिक रोगियों में साइकोसिस, डिप्रेशन, न्यूरोसिस, भूलने की बीमारी, मंदबुद्धि, मिरगी, नशापान की आदत वाले आदि शामिल रहते हैं।
मानसिक रोग के लक्षण
मानसिक रोग के लक्षण बहुत अलग नहीं होते हैं। डॉ. भारती बताते हैं कि सामान्य लक्षणों में ही पहचान करनी होती है। मानसिक रोग के लक्षणों में सिर दर्द, नींद कम या ज्यादा, चिड़चिड़ापन, उदासी, गुस्सा, डर लगना, शक संदेह करना, साफ-सफाई ज्यादा करना, नशा पान करना, विचित्र अनुभव करना, अजीब विचार या व्यवहार, मानसिक तनाव, अजीबोगरीब आवाजें सुनाई पड़ना, सेक्स संबंधी समस्याएं, मिर्गी का दौरा, बार-बार बेहोशी आना, बुद्धि कम होना, आत्महत्या का ख्याल आना, बच्चों की व्यवहारात्मक समस्याएं, भूलना या याददाश्त की कमी, झाड़-फूंक या तांत्रिक के पास जाने की इच्छा, बिना कारण के हंसना, रोना, खुद से बातें करना, खुद को अलग-अलग रखना आदि शामिल है। इसके लक्षण मिलने पर गहन जांच और चिकित्सा की जरूरत होती है।