जेब्रा भागने लगता है तो पकड़ना होता है मुश्किल, पटना जू में देख सकते यह आकर्षक जानवर
पटना जू में कई सारे पशु-पक्षियों के बीच पटना जू का जेब्रा भी है जो सबका प्यारा है। चिड़ियाघर घूमने आने वाले दर्शक जेब्रा का दीदार करना नहीं भूलते। जेब्रा मूल रूप से अफ्रीका में पाए जाने वाला जानवर है। इसका वजन 350 किलोग्राम तक होता है।
पटना, जेएनएन। पटना जू में कई सारे पशु-पक्षियों के बीच पटना जू का जेब्रा भी है, जो सबका प्यारा है। चिड़ियाघर घूमने आने वाले दर्शक जेब्रा का दीदार करना नहीं भूलते। जेब्रा मूल रूप से अफ्रीका में पाए जाने वाला जानवर है। इसकी ऊँचाई 4 फीट छह इंच और वजन 350 किलोग्राम तक होता है।
60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ता है जेब्रा
जेब्रा 55 से 60 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ती है। जेब्रा हरी घास, पत्ते, पेड़ों की टहनियां और छाल खाता है। जेब्रा काले रंग का होता है,लेकिन बाद में उनके शरीर पर सफेद रंग की धारिया बननी शुरू हो जाती है। जिस तरह से हर इंसान के फिंगर प्रिंट अलग-अलग होते हैं। उसी तरह से हर जेब्रा के शरीर पर बने धारियों का पैटर्न अलग-अलग होता है।
शिकारी को भी चकमा दे देता है जेब्रा
जेब्रा अक्सर समूह में रहना पसंद करते हैं। जिससे शिकारी के लिए किसी जेब्रा को पकड़ना मुश्किल होता है। जेब्रा जब भागते हैं तो वो जिग-जैग की तरह दौड़ते हैं। इससे वो शिकारी को भी चकमा दे देते हैं। जब कोई जेब्रा किसी शिकारी द्वारा घायल हो जाता है तब अन्य जेब्रा इकट्ठा होकर उसे बचाने में मदद करते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
पटना जू के निदेशक अमित कुमार बताते हैं कि वर्तमान में पटना जू में दो जेब्रा हैं। इसमें एक नर और एक मादा है। मादा जेब्रा को अंतिम वर्ष कोलकाता के जू से लाया गया था। प्रजनन कराकर इनकी जनसंख्या को बढ़ाया जा सके। पटना जू में जेब्रा के लिए बड़ा इनक्लोजर बनाया गया है। इसके अलावा दो नाइट हाउस भी है।
तीन वर्ष में प्रजनन योग्य हो जाते हैं मादा जेब्रा
मादा जेब्रा तीन वर्ष में और नर जेब्रा 5 वर्ष में प्रजनन योग्य हो जाते हैं। इनका गर्भ काल 12 माह का होता है। इनका जीवन काल 25 वर्षों का होता है। जेब्रा की सुनने की क्षमता बहुत अधिक होती है। ये रात में भी देखने में सक्षम है। जेब्रा खड़े-खड़े ही सो जाता है।