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बिहार लोकसभा चुनाव: बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभानअल्लाह, जानिए

इस बार के लोकसभा चुनाव के महाभारत में कई अभिमन्यु हैं जो चक्रव्यूह को तोड़ने को तैयार हैं। ये युवा उम्मीदवार बड़े राजनीतिक दिग्गजों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 11:06 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2019 11:43 PM (IST)
बिहार लोकसभा चुनाव: बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभानअल्लाह, जानिए
बिहार लोकसभा चुनाव: बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभानअल्लाह, जानिए
पटना [रमण शुक्ला]। इस चुनाव में धुरंधरों के चक्रव्यूह में कई अभिमन्यु घिरे हैं। दिग्गजों को नौसिखिए टक्कर दे रहे हैं। उम्र कम है, किंतु जोश पर्याप्त। सबकी अपनी पृष्ठभूमि है। वाल्मीकिनगर सीट पर शाश्वत केदार, पूर्वी चंपारण में आकाश सिंह, बेगूसराय में कन्हैया कुमार और खगडिय़ा में मुकेश सहनी।  सभी पहली बार किस्मत आजमा रहे हैं। पुराने नेताओं के मुकाबले कम उम्र वाले नेता भले ही पहली बार खड़े दिख रहे हैं, किंतु सबका अपना मजबूत आधार है। 
62 के वैद्यनाथ से शाश्वत की टक्कर 
वाल्मीकिनगर में जदयू के मंझे हुए खिलाड़ी 62 वर्षीय वैद्यनाथ प्रसाद महतो की कांग्रेस के 32 वर्षीय उम्मीदवार शाश्वत केदार से मुकाबला है। हालांकि शाश्वत अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के नेता हैं, लेकिन अनुभव के मामले में महतो के सामने नौसिखिए हैं।
महतो जहां पूर्व सांसद के साथ राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं, वहीं शाश्वत को विरासत में सियासत मिली है। शाश्वत के दादा केदार पांडेय बिहार के मुख्यमंत्री थे। केंद्र सरकार में भी मंत्री रह थे। पिता मनोज पांडेय भी सांसद थे। फिर भी पहली बार लड़ रहे शाश्वत को दिखाना होगा कि उन्होंने चक्रव्यूह तोडऩे की कला पूर्व की पीढिय़ों से सीखी है कि नहीं। 
पांच बार के सांसद को आकाश दे रहे चुनौती 
मोतिहारी से पांच बार सांसद और 69 वर्षीय केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को रालोसपा के 27 वर्षीय युवा उम्मीदवार आकाश कुमार सिंह से कड़ी चुनौती है। आकाश कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह के पुत्र हैं। उनकी पृष्ठभूमि भले राजनीतिक परिवार से है, लेकिन मुकाबला लंबी सियासी पारी खेल चुके एक केंद्रीय मंत्री से है। देखना यह है कि राधामोहन सिंह रालोसपा के युवा प्रत्याशी आकाश को चक्रव्यूह में फंसा कर हैट्रिक लगा पाते हैं या नहीं।
हैट्रिक लगाने की तैयारी में संजय
पश्चिमी चंपारण में रालोसपा ने नए चेहरे बृजेश कुशवाहा को मैदान में उतारा है। बृजेश की टक्कर भाजपा के सांसद डॉ. संजय जायसवाल से है। संजय दो बार से बेतिया सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इससे पहले उनके पिता डॉ. मदन जायसवाल भी यहां से सांसद थे। करीब ढाई दशक से सियासी ताना-बाना वाले परिवार के धुरंधर के सामने बृजेश नौसिखिए हैं। संजय की चुनौतियों से पार पाना बृजेश के लिए आसान नहीं होगा। 
दो दिग्गज को कन्हैया दे पाएंगे चुनौती 
बेगूसराय में सीपीआइ के उम्मीदवार कन्हैया कुमार का मुकाबला भाजपा के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से है। 66 वर्ष के अनुभवी गिरिराज बिहार सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। लंबे समय से राजनीति करते आ रहे हैं, जबकि 32 वर्ष के कन्हैया के लिए यह पहला अनुभव है।
कन्हैया के खिलाफ एक मोर्चा राजद ने भी खोल दिया है। सियासत के बुजुर्ग तनवीर हसन को मैदान में उतार दिया है। गिरिराज और तनवीर की उम्र की तुलना में कन्हैया की उम्र आधी भी नहीं है। भाजपा और राजद की रणनीतियों से कन्हैया का मुकाबला देखने लायक होगा। कन्हैया की हार-जीत दोनों महत्वपूर्ण होगी, जिसकी चर्चा आगे भी होती रहेगी। 
सियासी दांव क्या बैठेगा सटीक  
खगडिय़ा सीट पर भी लोजपा सांसद चौधरी महबूब अली कैसर से नवोदित वीआइपी पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी का सबकुछ दांव पर लगा हुए है। कैसर की सियासी पहचान पुरानी है। वह प्रदेश कांग्र्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, जबकि मुकेश की पहचान नई है। हाल में ही विकासशील इंसान पार्टी बनाई है।
पहले भाजपा और अब राजद के सहारे राजनीति में दस्तक दे रहे हैं। यह पहला चुनाव है। सन ऑफ मल्लाह के नाम से पहचाने जाते हैं। पहली बार 2015 के विधानसभा चुनाव से चर्चा में आए थे। हार-जीत का असर उनके राजनीतिक सफर पर पडऩा तय है। 
चंदन की नवादा में गलेगी दाल 
नवादा संसदीय क्षेत्र में लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे चंदन सिंह भी कड़े मुकाबले में फंसे हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उनके सामने राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी हैं। उम्र और सियासी पैंतरे में चंदन पर विभा भारी पड़ सकती हैं, लेकिन हौसले के सहारे चंदन कड़ी टक्कर दी है। हालांकि चंदन की पहचान भी बाहुबली परिवार से जुड़ी है। वह पूर्व सांसद सूरजभान के भाई हैं। सही मायने में लड़ाई सूरजभान और राजबल्लभ यादव के बीच हुई है। 
रमा के सामने नौसिखिए फैसल
शिवहर सीट पर दो दशक से राजनीति में सक्रिय और पारिवारिक विरासत संभाल रहीं भाजपा प्रत्याशी रमा देवी के सामने राजद ने सैयद फैसल अली को उम्मीदवार बनाया है। फैसल की पहचान पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़ी है। सियासत में पहला प्रवेश है।
राजद ने उन्हें जिस रमा देवी के खिलाफ प्रत्याशी बनाया है, वह मौजूदा सांसद हैं। पिछली बार भी थीं और क्षेत्र के नस-नस से वाकिफ भी हैं। तीसरी बार मैदान में हैं। जाहिर है, रमा के अनुभव से फैसल को परेशानी तो होगी ही। 
महाराजगंज का कौन होगा महाराज 
महाराजगंज में 55 वर्षीय जनार्दन सिंह सिग्रीवाल पर भाजपा ने फिर भरोसा किया है। अबकी उनके सामने राजद ने नए प्रत्याशी रणधीर सिंह को मैदान में उतारा है। दोनों के अनुभव में काफी फर्क है। हालांकि रणधीर के पिता प्रभुनाथ सिंह का भी बड़ा नाम है, लेकिन हत्या के जुर्म में वह अभी जेल में हैं। ऐसे में रणधीर को अपने बूते ही तीन दशक से राजनीति में सक्रिय और मौजूदा सांसद सिग्र्रीवाल से मुकाबला करना है। 

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