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पश्चिम बंगाल में उद्योगपति से वसूली 2.60 करोड़ रुपये की फिरौती, फिर छात्र बन छिप गया पटना में Patna News

पश्चिम बंगाल में उद्योगपति का अपहरण कर 2.60 करोड़ रुपये की फिरौती वसूलने वाला शातिर दीपक पटना में छात्र बनकर छिपा था।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 08:01 AM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 10:33 AM (IST)
पश्चिम बंगाल में उद्योगपति से वसूली 2.60 करोड़ रुपये की फिरौती, फिर छात्र बन छिप गया पटना में Patna News
पश्चिम बंगाल में उद्योगपति से वसूली 2.60 करोड़ रुपये की फिरौती, फिर छात्र बन छिप गया पटना में Patna News

पटना, जेएनएन। पश्चिम बंगाल में उद्योगपति का अपहरण कर 2.60 करोड़ रुपये की फिरौती वसूलने वाले आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। शातिर दीपक पटना में छात्र बनकर छिपा था। पटना और पश्चिम बंगाल पुलिस की संयुक्त टीम ने दीपक को सुल्तानगंज थानांतर्गत शाहगंज स्थित शत्रुघ्न मेहता के लॉज से गिरफ्तार किया। इसकी पुष्टि सिटी एसपी (पूर्वी) जितेंद्र कुमार ने की। पश्चिम बंगाल पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर उसे साथ लेकर लौट गई।

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गुर्गों के साथ मिल कर लिया था अपहरण

बताते चलें कि इस साल 17 अप्रैल को अंतरराज्यीय अपहरण गिरोह चंदन-सोनार ने गुर्गों के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल के बराकर में कुल्टी के पास से उद्योगपति तेजपाल सिंह व उनके चालक रवि कुमार का अपहरण कर लिया था। गिरोह ने दो करोड़ 60 लाख रुपये की फिरौती वसूलने के बाद अपहृत लोगों को रिहा किया था। इस संबंध में बंगाल के सालनपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पश्चिम बंगाल के अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) को जानकारी मिली कि अपहरण में शामिल दीपक भोजपुर जिले के सीकरहट्टा थानांतर्गत चकिया का रहने वाला है। वह फिलहाल सुल्तानगंज स्थित शत्रुघ्न महतो के लॉज में विद्यार्थी बनकर रह रहा है। इसके बाद बंगाल सीआइडी ने पटना पुलिस को सूचना दी।

दोनों राज्यों की पुलिस ने टीम का गठन किया और मुखबिरों की मदद से दीपक को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले अपहरण में संलिप्त एक और बदमाश को भोजपुर से गिरफ्तार किया गया था।

जून से लॉज में रह रहा था दीपक

गिरफ्तार दीपक शत्रुघ्न महतो के लॉज में जून से रह रहा था। वह बैग और किताबें लेकर कमरे से निकलता था, लेकिन वह कहां पढ़ता था इसके बारे में लॉज के दूसरे लड़कों को कोई जानकारी नहीं थी। दीपक के पास से बंगाल पुलिस को कुछ मोबाइल नंबर ही मिल सके। गांव के एक लड़के को गारंटर बनाकर उसने लॉज में कमरा लिया था। चकिया स्थित उसके घर में छापेमारी करने के बाद बंगाल पुलिस को पटना के ठिकाने के बारे में पता चला।


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