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भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत पर युवाओं में दिखा गर्व

चंद्रयान दो का रोमांच पटनावासियों के सिर चढ़कर बोला।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 07:24 PM (IST)
भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत पर युवाओं में दिखा गर्व
भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत पर युवाओं में दिखा गर्व

पटना। चंद्रयान दो का रोमांच पटनावासियों के सिर चढ़कर बोला। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर छात्र-छात्राओं और युवाओं में खासा उत्साह दिखा। शुक्रवार की देर रात से शनिवार की सुबह तक लोग चंद्रयान की लाइव लैंडिंग देखने के लिए जगे रहे। लैंडिंग के आखिरी क्षणों में लैंडर का इसरो का संपर्क टूटने के बाद लोगों की उत्कंठा और बढ़ गई। शनिवार की सुबह राजधानी के श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र में मिशन चंद्रयान से जुड़े शो को देखने के लिए अच्छी भीड़ जुटी। इस दौरान लोगों ने चंद्रयान की बारीकियों और महत्व को समझा।

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विज्ञान केंद्र के एजुकेटर ने बताया कि भले यह मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो सका, फिर भी भारतीय वैज्ञानिकों की कामयाबी कितनी अहम है। विज्ञान केंद्र में जुटे युवाओं के चेहरे पर मिशन में आई बाधा को लेकर मायूसी तो दिखी, लेकिन वैज्ञानिकों की शानदार कोशिश के लिए गर्व के भाव भी दिखे। विज्ञान केंद्र में चंद्रयान की लैंडिंग की रिकार्डेड पलों को दिखाया गया। साथ ही इस उपलब्धि के महत्वपूर्ण पक्षों को भी बताया गया। सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक प्ले होते रही रिकॉर्डिग

श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र में प्रोजेक्टर के माध्यम से वहां आने वाले लोगों को चंद्रयान के बारे में जानकारी दी जा रही थी। कैसे भारतीय चंद्रयान चांद के साउथ पोल के पास गया। आर्बिटर किस तरह चांद की परिक्रमा कर रहा है। आर्बिटर से लैंडर कैसे अलग हुआ। किस तरह लैंडर चांद की सतह की तरफ रवाना हुआ, ये सब चीजें विस्तार से दिखाई और समझाई गई। साथ ही इसरो से मिली रिपोर्ट के जरिए राजधानी के लोगों ने ये भी जाना कि चांद से कितनी दूरी पर चंद्रयान विफल हुआ। चार पैनल के माध्यम से बताया गया चंद्रयान का महत्व :

चंद्रयान की लैंडिंग के साथ ही विज्ञान केंद्र में चार पैनल भी लगाए गए थे। इनमें चंद्रयान को चंद्रमा के साउथ पोल की तरफ ही क्यों भेजा गया, क्या वहां सच में पानी मिला है, चंद्रयान की आर्बिट क्या है, लैंडर क्या होता है, उसमें रोबर क्या था, उसका काम क्या था, चंद्रयान 2 में किस- किस प्रकार की मशीनों को लगाया गया है, इन सब चीजों के बारे में डिस्प्ले के साथ बताया गया है। डिस्प्ले के डिजाइनर अलताफ बताते हैं कि इस तरह के डिस्प्ले के माध्यम से देखने वालों को बेसिक जानकारियों के साथ ही इस बारे में भी पता चलता है कि चांद पर जाने के बाद चंद्रयान क्या करता और वैज्ञानिकों को उससे क्या जानकारी प्राप्त होती।

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हम भले ही चांद पर लैंड करने में सफल नहीं हो पाए हैं, लेकिन हमें गर्व है कि हमारे वैज्ञानिकों ने इतनी मेहनत की है और हम विश्व का पहला देश बन गए हैं, जिसने साउथ पोल पर अपना यान भेजा हो।

- विजया हमें स्कूल में चंद्रयान के बारे में बताया गया था। विज्ञान केंद्र आने के बाद पता चला कि चंद्रयान सही तरीके से चांद तक नहीं पहुंच पाया। हमारे वैज्ञानिकों ने अच्छी कोशिश की। अगली बार हम जरूर सफल हो जाएंगे।

- कनक लता हम पहली कोशिश में फेल हुए हैं, लेकिन अगली बार जरूर सफल होंगे। हमारे वैज्ञानिक इस मिशन में आई बाधा को पहचानकर उसे दूर करेंगे। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से हमें ये तो पता चल गया कि हमारे वैज्ञानिक किसी भी देश के वैज्ञानिकों से कम नहीं हैं।

- फाजिया हमें गर्व है कि हम भारतीय हैं, क्योंकि हम पहले देश हैं, जिसने साउथ पोल पर अपना यान भेजा। हम सफल नहीं हुए पर इतिहास तो हमने जरूर रच दिया है। अब जब भी हम प्रयास करेंगे, सफलता हमारी ही होगी।

- प्रियांशी इसरो की ओर से हमें चंद्रयान से जुड़ी वीडियो क्लिप्स मिली थीं। इसमें बस आखिरी तीन मिनट के वीडियो नहीं हैं। हमने उसी वीडियो के माध्यम से राजधानी के लोगों को भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धि दिखाने की कोशिश की है। हमारे वैज्ञानिकों ने कितनी मेहनत की है और अपने सामने कितनी बड़ी चुनौती रखी थी, यह जानना महत्वपूर्ण है। भले हमारा मिशन पूरा नहीं हो पाया, लेकिन कोशिश बहुत ही अच्छी और अलग है।

- मो. अलताफ हुसैन, एजुकेटर सह सचिव, श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र


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