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बिहार में बाढ़: पड़ोसी को बचाने में गई युवक की जान

बिहार के मुजफ्फरपुर में पड़ोसी को बचाने के दौरान युवक की मौत हो गई। वह पड़ोस की चाची के गुहार लगाने बचाने के लिए पानी में कूद गया था। उसका शव बीस घंटे बाद पानी में तैरता मिला।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Thu, 17 Aug 2017 06:12 PM (IST)Updated: Thu, 17 Aug 2017 07:39 PM (IST)
बिहार में बाढ़: पड़ोसी को बचाने में गई युवक की जान
बिहार में बाढ़: पड़ोसी को बचाने में गई युवक की जान

मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। प्रखंड के बंगरा निजामत पंचायत स्थित बारी टोला निवासी 20 वर्षीय संदीप बारी की जान बाढ़ में पड़ोस की महिला को बचाने में चली गई। उसका शव बीस घंटे बाद पानी में तैरता मिला। पुलिस ने शव को कब्जे में  लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। 

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पूरे परिवार के भरण-भोषण का था जिम्मा 

बताया गया है कि मृतक अपनी मां निर्मला कुंवर, छोटे भाई दस वर्षीय सूरज व आठ वर्षीय निरंजन के साथ रहता था। उसके पिता रमेश बारी की मृत्यु पहले ही हो चुकी है। पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उसी के कंधे पर थी। 

नहीं मिला कोई नाव 

बुधवार को नारायणी नदी का पानी उक्त गांव में भी प्रवेश कर गया। उसकी मां ने बाढ़ की पानी से बचाव के लिए कुछ करने को कहा, लेकिन पानी के तेज बहाव के कारण वह कुछ कर नहीं सका। सामान को भी बाहर निकालने में अक्षम रहा। कोई नाव नहीं दिखा। 

शोर मचाते रहे पर किसी ने नहीं सुनी 

गांव से तिरहुत बांध की दूरी अधिक होने के कारण तैरकर वहां तक पहुंचना भी संभव नहीं था। मदद को मां-बेटे चिल्लाते रहे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। फिर एक निजी नाव वाला दिखा। उससे दो सौ रुपये देकर घर का सामान निकालने लगे। 

लालच छोड़ भाईयों के साथ अपनी जान बचा 

पानी बढ़ते देख संदीप ने मां से कहा कि समान का लालच छोड़ दो। भाईयों के साथ अपनी जान बचाने का प्रयास करते है। इसके बाद उसने भाईयों के साथ मां को पहले सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। 

पड़ोस की चाची ने बचाने की लगाई गुहार 

इसी क्रम में पड़ोस की चाची मुन्ना की मां ने संदीप से मदद मांगी। कहा, बचा लो बेटा हम डूब रहे हैं। इसके बाद उसने पड़ोसी को बचाने के लिए पानी में कूद पड़ा, लेकिन वह वापस नही आया। लोगों के बहुत प्रयास के बाद भी उसका कुछ पता नहीं चला। गुरुवार लगभग 8 बजे उसका शव दिखाई पड़ा तो लोगों की मदद से उसे निकाला गया।

मां दहाड़ मार हो जा रही बेहोश

घटना के बाद मां व भाईयों को रो-रोकर बुरा हाल है। गांव वाले भी स्तब्ध हैं। उसकी मां चीत्कार मारकर बस एक ही बात कहती कहां गइले रे संदीप। इतना कह बेहोश हो जाती। बोलती है बाबू हमर दु गो रोटी खइले रहे।


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