Move to Jagran APP

प्रकृति और इतिहास से जोड़ती विश्व शैलचित्र प्रदर्शनी

बिहार म्यूजियम में विश्व शैलचित्र कला पर आधारित चित्रकला प्रदर्शनी के दूसरे दिन रविवार को व्याख्यान का आयोजन।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 07:50 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 07:50 PM (IST)
प्रकृति और इतिहास से जोड़ती विश्व शैलचित्र प्रदर्शनी
प्रकृति और इतिहास से जोड़ती विश्व शैलचित्र प्रदर्शनी

बिहार म्यूजियम में विश्व शैलचित्र कला पर आधारित चित्रकला प्रदर्शनी के दूसरे दिन रविवार को व्याख्यान सुनने और कलाकृतियों का दीदार करने के लिए लोगों का जुटान हुआ। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित प्रदर्शनी में दुनिया की सबसे पहली मूर्ति और आदि काल से चली आ रही पेंटिंग कला का प्रदर्शन किया गया।

loksabha election banner

200 चित्र बयां कर रहे देश का इतिहास

शैलचित्र प्रदर्शनी में कुल 200 चित्रों का प्रदर्शन किया जा रहा है। इसमें 20 हजार साल बीसी तक के बाद की तस्वीरें शामिल हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के परियोजना निदेशक डॉ. वंशी लाल मल्ला ने बताया कि विद्धानों द्वारा उच्च परिपक्वता वाले ये रिकार्ड चालीस हजार पूर्व प्राचीन काल तक जा सकते हैं।

जाने कैसे रहते थे आदिवासी

विश्व शैलचित्र कला के साथ-साथ आदिवासियों के जीवन के बारे में भी प्रदर्शनी में कलाकृतियां जानकारी दे रही हैं। इसमें मुबंई, गुजरात और उड़ीसा के आदिवासियों पर विशेष जोर दिया गया है। दिखाया गया है कि वे कैसे रहते थे वो कैसे काम करते थे। प्रदर्शनी में मध्य प्रदेश से और बिहार के गोपालगंज और नवादा की कलाकृतियां सबसे ज्यादा देखने को मिल रही हैं।

चित्र प्रदर्शनी में दुनिया की पहली मूर्ति

बिहार म्यूजियम में लगी प्रदर्शनी में दुनिया की पहली मूर्ति वीनस विल्डॉप भी मौजूद है। ये तीन हजार साल बीसी पुरानी है। इसका आकार 11 सेमी का है। बिहार संग्रहालय के संग्रह अध्यक्ष रणवीर सिंह बताते हैं, ये मूर्ति आस्ट्रिया के एक गांव में से लाई गई है। बिहार म्यूजियम में इसकी रेपलिका बनाई गई है।

म्यूजियम में शुरू होगा शोध कार्य

बिहार म्यूजियम के संग्रह अध्यक्ष ने कहा कि अभी मध्य प्रदेश और बाकी राज्यों से सब से ज्यादा शैल चित्र यहां देखने को मिल रहे हैं। सितंबर अक्टूबर महीने से बिहार के अलग-अलग राज्यों में इस विषय पर शोध शुरू किया जाएगा। इसके बाद बिहार के भी शैल चित्र के बारे में लोगों को जानकारी मिल सकेगी।

बिहार से मिल सकते हैं अद्भुत चित्र

रविवार को प्रो. आरके चटटेपाध्याय द्वारा प्री-हिस्ट्री ऑफ इस्टर्न इंडिया विषय पर विशेष व्याख्यान दिया गया। व्याख्यान में चटटेपाध्याय ने बताया कि इस्टर्न इंडिया के समय से पेंटिंग पर काफी काम हुआ है। उन्होंने जानकारी दी कि कैसे पेंटिंग को बनाने के बाद उसमें कोयले या किसी अन्य चीजों से रंग भर उसे सुंदर बनाया जाता था। बताया कि बिहार-झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में अभी कई ऐसे स्थान हैं जहां खोज से अद्भुत शैल चित्र मिल सकते हैं। खोज में कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिससे ये पता चलता है कि इन राज्यों में भी इस्टर्न इंडिया के समय बहुत काम हुआ था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.