बिहार : सोते वक्त बार-बार टूटती है नींद या लेते हैं खर्राटे? डॉक्टरों से जानिए जानिए स्लीप एपनिया की कुछ खास बातें
World Sleep Day 2021 नींद से जुड़ी एक बीमारी है स्लीप एपनिया जिसमें सोते वक्त बार-बार नींद टूटती है। इस बीमारी के कारणों लक्षणों व बचाव आदि के संबंध में बता रहे हैं। बिहार के कुछ डॉक्टर। जानिए इससे संबंधित कुछ खास बातें।
पटना, बिहार ऑनलाइन डेस्क। World Sleep Day 2021 अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है। दिनभर की मेहनत के बाद अच्छी नींद अगले दिन के लिए ताजगी और ऊर्जा देती है। हालांकि, कई लोग एक बीमारी की वजह से अच्छी नींद नहीं ले पाते हैं। हम बात कर रहे हैं स्लीप एपनिया की। इस बीमारी के कारण लोगों को सोते वक्त सांस लेने में पेरशानी होती है और बार-बार नींद खुल जाती है। वर्ल्ड स्लीप डे पर आप जानिए नींद से जुड़ी इस बीमारी के बारे में कुछ खास बातें।
दैनिक जीवन की अहम जरूरत है नींद
नींद हमारे दैनिक जीवन की अहम जरूरत है। हम जिंदगी का करीब एक-तिहाई हिस्सा सोने में ही गुजारते हैं। शरीर व दिमाग के अच्छी तरह से काम करने के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। नींद की कमी के कारण न्यूरो-संज्ञानात्मक प्रक्रिया में बदलाव हो सकता है। इससे हम चिड़चिड़े हो सकते हैं। निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। याददास्त कमजोर हो सकती है। हम अवसाद में भी जा सकते हैं। यहां तक कि नींद से जुड़ी बीमारी स्लीप एपनिया के भी शिकार हो सकते हैं।
भारत के तीन करोड़ लोग स्लीप एपनिया से पीड़ित
आंकड़ों के अनुसार भारत के करीब तीन करोड़ लोग स्लीप एपनिया से पीड़ित हैं, जिनमें बिहार की भी बड़ी आबादी है। खास बात यह है कि इसके शिकार 80 फीसद लोगों को पता ही नहीं रहता कि वे बीमारी के शिकार हैं।
स्लीप एपनिया के कारण, लक्षण,जांच व बचाव
- कारण : मोतिहारी के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. भास्कर राय कहते हैं कि स्लीप एपनिया अस्वस्थ जीवनशैली के कारण हो सकती है। शरीर का वजन अधिक बढ़ने तथा दर्द निवारक दवाओं के सेवन से भी यह बीमारी हो सकती है। किडनी व दिमागी संक्रमण, स्ट्रोक, रीढ़ की बीमारी तथा टॉन्सिल आदि के कारण भी स्लीप एपनिया का खतरा बढ़ता है। यह बीमारी आनुवंशिक भी हो सकती है।
- लक्षण : गाेपालगंज के डॉ. संदीप कुमार बताते हैं कि इस बीमारी में सोते समय सांस लेने में परेशानी हो सकती है। हांफना और जोर से खर्राटे लेना भी लक्षण हैं। इस बीमारी में ध्यान, एकाग्रता व सतर्कता में कमी भी महसूस होती है। इसके अलावा सोकर जागने पर मुंह सूखने और सिर दर्द की शिकायत आम है। मरीज को अधिक थकान महसूस हो सकता है। काफी देर तक सोना भी इस बीमारी का लक्षण हो सकता है।
- जांच : पटना के डॉ. यूएन राय बताते हें कि केवल लक्षणों के आधार पर बीमारी की पुष्टि नहीं होती है। इसके लिए कुछ खास जांच करने की जरूरत पड़ती है। इस बीमारी की पुश्टि के लिए एक जांच पोलीसोम्नोग्राफी है, तो एक तरह का स्लीप स्टडी टेस्ट है। इसमें सांस लेने की क्षमता के साथ शरीर में ऑक्सीजन के स्तर का पता लगाया जाता है।
- बचाव : सवाल यह है कि आखिर इस बीमारी से कैसे बचें? इसके लिए जरूरी है कि हम स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं। सबसे पहले तो सोने और जगने के समय को नियमित करें। नियमित तौर पर हल्के व्यायाम करने की आदेत डालें। नियमित व संतुलित भोजन करें तथा जंक फूड से परहेज करें। शराब व धूम्रपान जैसे व्यसन से दूर रहना भी जरूरी है।