नालंदा में कौतूहल बना पीपल का पेड़, आंधी में गिरा फिर उठा, अब जड़ से निकल रहा पीने लायक पानी
World Environment Day नालंदा में आंधी से गिरा एक पीपल का पेड़ लोगों के लिए चर्चा और आस्था का विषय बना है। जानें क्यों आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु पेड़ के पास पहुंच रहे।
नालंदा, जेएनएन। विश्व पर्यावरण दिवस पर आज बिहार के नालंदा जिले के एक पेड़ की बात करना जरूरी है। पूरी खबर पढ़ें और खुद तय करें कि ये अंधविश्वास है या सच। लोगों का मानना है कि ये चमत्कार है, अगर ऐसा है तो चर्चा भी होनी चाहिए। दरअसल बिहारशरीफ के सोहडीहदुर्गा स्थान के निकट पांच दिन पहले आंधी से गिरा पीपल का पेड़ अचानक उठ खड़ा हुआ। गिरने के बाद पेड़ काटने की कोशिश कर रहा मजदूर घायल हो गया। अब पेड़ की जड़ से पीने लायक पानी निकल रहा है। आसपास के लोगों ने पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया है।
बताया जाता है कि सोहडीह के दुर्गा स्थान मंदिर पर लोगों की काफी आस्था है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। मंदिर के बगल में लगे पीपल के विशाल पेड़ में लोग दीये भी जलाते थे। पांच दिन पहले शनिवार को जिले में आई आंधी से पीपल का पेड़ गिर गया। आंधी आने के दौरान हवाएं इतनी तेज चलीं कि जमीन की मिट्टी को उखाड़ते हुए पेड़ जड़ समेत बाहर आ गया।
अब पेड़ गिर गया तो बढ़ई को बुलाया गया। कुछ लोगों ने गिरे हुए पेड़ को काटने पर ऐतराज किया। अंत में पास की मंदिर कमेटी और अन्य लोगों की राय से पीपल के पेड़ को काटने का निर्णय हुआ। लिहाजा बुधवार को बढ़ई ने काम शुरू कर दिया। इस बीच डाली काटने के दौरान जब पेड़ के आगे के छोर से वजन कम हुआ तो पेड़ ऊपर की ओर उठ गया, जिसकी जद में आकर बढ़ई घायल हो गया। इतना घायल कि उसे बेहतर इलाज के लिए राजधानी पटना रेफर करना पड़ा।
और होने लगी पूजा...
अगले दिन गुरुवार को लोगों ने देखा कि पेड़ की जड़ से लगातार पानी निकल रहा है। तुरंत टीडीएस मशीने से पानी की गुणवत्ता मापी गई। पता चला कि पानी पीने लायक है। फिर क्या था, पूजा के लिए पेड़ और प्रसाद के लिए पेड़ की जड़ से निकल रहे जल का इस्तेमाल होने लगा। अब बड़ी संख्या में लोग पेड़ की पूजा कर रहे हैं। उसपर कलावा और चुनरी बांधकर मानता मांगी जा रही है। पीपल के पेड़ की शाखाओं से भी हरी पत्ती निकलने लगी है।