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विश्व साइकिल दिवसः ट्रैक पर आई बिगड़ती लाइफ स्टाइल, बिना खर्च ऐसे हो रहा सेहतभरा का सफर

तीन-चार दशक पहले साइकिल यातायात का सबसे प्रमुख साधन थी लेकिन अब बेहतर स्वास्थ्य का जरिया है। आज दिवस विशेष पर करते हैं साइकिल के सफर पर बात।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 09:30 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 09:30 AM (IST)
विश्व साइकिल दिवसः ट्रैक पर आई बिगड़ती लाइफ स्टाइल, बिना खर्च ऐसे हो रहा सेहतभरा का सफर
विश्व साइकिल दिवसः ट्रैक पर आई बिगड़ती लाइफ स्टाइल, बिना खर्च ऐसे हो रहा सेहतभरा का सफर

प्रभात रंजन/ अंकिता भारद्धाज/ पिंटू कुमार। आप भले ही कार-बाइक के शौकीन हों मगर जब सेहत की बात आती है, तो साइकिल सब पर भारी पड़ती है। साइकिल चलाना न सिर्फ आपको चुस्त-दुरुस्त और सेहतमंद रखता है, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में सहयोग करता है। तभी तो राजधानी में कई ऐसे लोग हैं, जिनका साइकिल से प्यार आज भी कायम है। भले ही उनके गैराज में कार पड़ी हो मगर वे जरूरत के समय पहले साइकिल ही निकालते हैं।

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1971 में खरीदी साइकिल के साथ सेहत भी है फिट

कंकड़बाग कॉलोनी के चंदू राम कहते हैं, 69 साल की उम्र में भी मेरे स्वास्थ्य का राज मेरी साइकिल है। वर्ष 1971 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में क्लर्क के पद पर ज्वाइन करने के बाद 330 रुपये की साइकिल खरीदी थी। साइकिल से ही बैंक आया-जाया करता था। रोज 15 से 20 किलोमीटर साइकिल चला लेता था। वर्ष 1987 में 11 हजार रुपये में स्कूटर भी खरीदा, लेकिन इसे दूर के सफर में ही इस्तेमाल किया। आज भी वह साइकिल मेरे पास है। अब तो घर में कार भी है, लेकिन मेरी साइकिल कभी थमी नहीं। आज भी कहीं आना-जाना साइकिल से ही होता है।

साइकिल की कीमत

सामान्य साइकिल - 3000-3500 रुपये

गियर वाली साइकिल - 4000-5000 रुपये

मोटा पहिया और गियर वाली साइकिल - 15 हजार रुपये

बैटरी वाली साइकिल - 22 हजार रुपये

बच्चों की साइकिल - 2000-2500 रुपये

साइकिल के शौक ने नहीं पडऩे दी कसरत की जरूरत

राजेंद्र नगर के पृथ्वी कहते हैं, मैं पिछले 13-14 साल से साइकिल चला रहा हूं। पहले तो स्कूल जाना होता था तो साइकिल से जाता था। धीरे-धीरे मजबूरी शौक में बदल गई। अब तो साइकिल के बिना कुछ नहीं होता। कहीं भी जाना हो तो मेरी प्राथमिकता साइकिल ही होती है। मुझे साइकिल चलाने के बाद किसी और कसरत की जरूरत नहीं होती है। इसी की बदौलत अब तक किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं हुई है। हर सुबह एक घंटा साइकिल चलाकर ही मेरी दिनचर्या शुरू होती है। दोस्तों को भी साइकिल से ही चलने के लिए प्रेरित करता हूं।

53 की उम्र में रोजाना 20-25 किलोमीटर चलाते साइकिल

पाटलिपुत्र कॉलोनी के सूर्य नारायण मिश्र कहते हैं, मैं 35 साल से साइकिल की सवारी कर रहा हूं। कहीं भी जाना हो, साइकिल से ही जाता हूं। रोजाना 25-30 किलोमीटर साइकिल चला ही लेता हूं। यही वजह है कि 53 वर्ष की उम्र में भी फीट हूं। उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान में नौकरी करता हूं। यहां मेरा काम डाक बांटने का है। इसके लिए शहर के अलग-अलग हिस्से का चक्कर लगाना पड़ता है। गर्दनीबाग स्थित घर से दफ्तर आने के लिए भी कई किलोमीटर साइकिल चलानी पड़ती है। घर में बाइक है, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं करता।

कॉलेज लाइफ से पड़ा साइकिल का शौक आज भी जिंदा

आनंद कौशल कहते हैं, मैं पिछले 13 साल से साइकिल चला रहा हूं। जब मैं एएन कॉलेज में पढ़ाई करता था तो मेरे दोस्त बाइक या पब्लिक गाडिय़ों से जाया करते थे, लेकिन मैं अपनी साइकिल से ही जाता था। उस समय से लेकर अब तक साइकिल का प्यार खत्म नहीं हुआ। साइकिल चलाने से मेरी सेहत फिट रहती है। कभी जिम जाने की जरूरत नहीं पड़ी। घर का सामान लेने भी साइकिल से ही जाता हूं। दोस्तों से मिलने भी इसी से ही जाता हूं। हर तीन साल में साइकिल को लेटेस्ट मॉडल से चेंज करता हूं। साइकिल के अलावा मेरे पास तीन कार है, लेकिन इस्तेमाल केवल तब करता हूं, जब ऑफिस जाना होता है या परिवार के साथ लंबे सफर पर निकलना होता है।


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