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गांधी के विचारों में दुनिया का भविष्य परमाणु से ज्यादा खतरनाक है पर्यावरण

दुनिया परमाणु बमों पर बैठी है। वर्तमान में विश्व के 15 से अधिक देशों के पास परमाणु बम हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 01:38 AM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 01:38 AM (IST)
गांधी के विचारों में दुनिया का भविष्य परमाणु से ज्यादा खतरनाक है पर्यावरण
गांधी के विचारों में दुनिया का भविष्य परमाणु से ज्यादा खतरनाक है पर्यावरण

दुनिया परमाणु बमों पर बैठी है। वर्तमान में विश्व के 15 से अधिक देशों के पास परमाणु बम हैं। अगर तृतीय विश्वयुद्ध हुआ तो मात्र दस मिनट में पूरी दुनिया समाप्त हो जाएगी। ऐसे में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सत्य-अ¨हसा का संदेश ही दुनिया को बचाने के लिए कारगर हथियार साबित हो सकता है। ये बातें मंगलवार को पाटलिपुत्र सहोदया कॉम्पलेक्स की ओर से एसके मेमोरियल हॉल में आयोजित समारोह में प्रसिद्ध गांधीवादी प्रो.रामजी सिंह ने कहीं।

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प्रो. रामजी ने कहा कि गांधी केवल भारत के नेता नहीं थे, वे विश्व के नेता थे। यही कारण है कि उनकी जयंती न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में मनाई जाती है। संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा गांधी की जयंती अ¨हसा दिवस के रूप में मनाई जाती है।

गांधी के विचारों में है दुनिया का भविष्य

प्रो. रामजी ने कहा कि गांधी जी ने जो स्वयं पर लागू किया, वही दूसरे से अपनाने की बात कही। जो व्यवहार में लागू नहीं होता, उसे अपनाने पर उन्होंने कभी जोर नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य गांधी के विचारों में हैं। उनके विचारों से हम जितना दूर जाएंगे, हमारी परेशानी बढ़ेगी। गांधी द्वारा अपनाए गए स्वदेशी का मार्ग ही हम सभी के लिए अनुकरणीय होना चाहिए। गांधी ने हमेशा स्वरोजगार एवं स्वदेशी पर जोर दिया है। वर्तमान सरकार भी अब इस महत्व को समझने लगी है, और कौशल विकास पर जोर दे रही है। प्रो.सिंह ने कहा कि न केवल गांधी ने बल्कि दुनिया के अनेक महान नेताओं ने स्वदेशी एवं स्वरोजगार की बात कही है।

परमाणु से ज्यादा गंभीर पर्यावरण

प्रो.सिंह ने कहा कि वर्तमान में किसी देश के पास इतनी हिम्मत नहीं है कि परमाणु युद्ध करने का साहस कर सके। क्योंकि उसका परिणाम उसे मालूम है। अगर एक देश परमाणु हथियारों का उपयोग करता है, तो दूसरा देश चुप रहने वाला नहीं है, ऐसे में पूरी दुनिया के लिए संकट पैदा हो जाएगा। परंतु वर्तमान में पर्यावरण की समस्या दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है। नई पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाने की जरूरत है।

मातृभाषा को बनाए शिक्षा का माध्यम

सीबीएसई स्कूलों के प्राचार्यों से गांधीवादी नेता ने अपील की कि मातृभाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाएं। अंग्रेजी को एक भाषा के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में किसी भी सूरत में हिन्दी का विकल्प अंग्रेजी नहीं हो सकती है।

समारोह में आए अतिथियों का स्वागत पाटलिपुत्र सहोदय के अध्यक्ष डॉ.राजीव रंजन सिन्हा ने किया। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को गांधी के संदेशों से अवगत कराने के लिए यह महाअभियान शुरू किया गया है। मौके पर आयोजन समिति के सचिव डॉ.सीबी सिंह ने कहा कि बच्चों तक गांधी के संदेश पहुंचाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर यह महाअभियान शुरू किया गया है। इस महाअभियान के तहत स्कूलों में 150 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अगले एक वर्षो में सीबीएसई स्कूलों में 150 प्रतियोगिता, 150 सामाजिक कार्यक्रम एवं 150 भाषणों का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में 10 लाख बच्चों को शामिल किया जाएगा।

राष्ट्रभक्ति गीतों से बच्चों ने मोहा मन

समारोह में राजधानी के नौ स्कूलों के बच्चों ने भव्य रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। सबसे पहले संत डोमनिक सेवियो के बच्चों ने आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। डीएवी, कृष्णा निकेतन एवं मे-फ्लावर सहित कई स्कूलों के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर समारोह को भक्तिमय बना दिया। इस अवसर पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर, सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी जगदीश बर्मन, एनआइओएस के क्षेत्रीय निदेशक परमप्रीत सिंह, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रासबिहारी प्रसाद सिंह, एसवीएम के निदेशक एके नाग, मे-फ्लावर के निदेशक जयराम शर्मा, प्राचार्य एसएन ठाकुर, रामायण सिंह एवं डॉ.बी.प्रियम सहित कई लोगों ने भाग लिया।


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