इंटर्न और हाउस सर्जन को हर महीने मिलेगा क्लीनिकल प्रशिक्षण
मौजूदा समय में नए-नए किस्म के टांके की सुविधा उपलब्ध हो चुकी है।
By Edited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 11:00 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 11:00 PM (IST)
पटना। मौजूदा समय में नए-नए किस्म के टांके की सुविधा उपलब्ध हो चुकी है। अब मरीजों को ऐसे टांके लगाए जाते हैं, जिसके दाग कुछ महीने में खत्म हो जाते है। ऐसे टांके में मरीजों को दर्द भी कम होता है। इससे उनके व्यवहारिक जीवन पर कोई असर नहीं होता है। इस तकनीक से अब आइजीआइएमएस के इंटर्न और हाउस सर्जन हर महीने अवगत होंगे।
ये बातें इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में इंटर्न और हाउस सर्जन के क्लीनिकल प्रोसिजर के प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहीं। उन्होंने कहा कि क्लीनिकल प्रशिक्षण की उपयोगिता को देखते हुए महीने में एक बार क्लीनिकल प्रोसिजर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यक्रम संयोजक सह हड्डी विभाग के अपर प्राध्यापक डॉ. रितेश रूनु ने कार्यक्रम में प्रशिक्षुओं को प्लास्टर लगाने की विधि, टांका लगाने के नई तकनीक से अवगत कराया। इस दौरान प्रायोगिक रूप से पेट के अंदर-बाहर, लीवर, फ्रैक्चर में टांके लगाने की पद्धति बताई गई।
साथ ही प्लास्टर लगाने की विधि, हार्ट अटैक के मरीजों को अचानक पहुंचने पर बचाने की विधि, बेहोशी में पहुंचे मरीज का अचानक मुंह का स्लाइवा लंग्स में पहुंचने पर उसे रिवाइव करने की प्रक्रिया के बारे में बताया। सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. पवन कुमार झा ने घावों में ऑपरेशन तकनीक के बारे में बताया। इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन प्रभारी निदेशक डॉ. केएच राघवेंद्र, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल, डॉ. अजीत गुप्ता ने उद्घाटन किया। मौके पर हड्डी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार, डॉ. प्रेम कुमार, डॉ. कुमार चंदन, डॉ. अभिजीत, डॉ. वसीम अहमद, डॉ. इंद्रजीत, डॉ. कंचन, डॉ. अश्रि्वन, डॉ. निशांत, डॉ. प्रशांत, डॉ. प्रदीप आदि भी थे।
ये बातें इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में इंटर्न और हाउस सर्जन के क्लीनिकल प्रोसिजर के प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहीं। उन्होंने कहा कि क्लीनिकल प्रशिक्षण की उपयोगिता को देखते हुए महीने में एक बार क्लीनिकल प्रोसिजर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यक्रम संयोजक सह हड्डी विभाग के अपर प्राध्यापक डॉ. रितेश रूनु ने कार्यक्रम में प्रशिक्षुओं को प्लास्टर लगाने की विधि, टांका लगाने के नई तकनीक से अवगत कराया। इस दौरान प्रायोगिक रूप से पेट के अंदर-बाहर, लीवर, फ्रैक्चर में टांके लगाने की पद्धति बताई गई।
साथ ही प्लास्टर लगाने की विधि, हार्ट अटैक के मरीजों को अचानक पहुंचने पर बचाने की विधि, बेहोशी में पहुंचे मरीज का अचानक मुंह का स्लाइवा लंग्स में पहुंचने पर उसे रिवाइव करने की प्रक्रिया के बारे में बताया। सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. पवन कुमार झा ने घावों में ऑपरेशन तकनीक के बारे में बताया। इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन प्रभारी निदेशक डॉ. केएच राघवेंद्र, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल, डॉ. अजीत गुप्ता ने उद्घाटन किया। मौके पर हड्डी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार, डॉ. प्रेम कुमार, डॉ. कुमार चंदन, डॉ. अभिजीत, डॉ. वसीम अहमद, डॉ. इंद्रजीत, डॉ. कंचन, डॉ. अश्रि्वन, डॉ. निशांत, डॉ. प्रशांत, डॉ. प्रदीप आदि भी थे।
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