महिला उद्यमियों को आसानी से मिले सस्ता ऋण
आगामी पांच जुलाई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आम बजट पेश करेंगी।
पटना। आगामी पांच जुलाई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आम बजट पेश करेंगी। हर तबके की तरह इस बजट से महिला उद्यमियों को भी विशेष उम्मीदें लगीं हैं। वर्तमान में वे कई तरह की मुश्किलों से जूझ रही हैं। आम बजट में इन समस्याओं का निदान चाहती हैं। जानते हैं उनकी राय..
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50 लाख का कारोबार हो जीएसटी मुक्त
महिलाएं घरेलू बचत से कोई छोटा उद्यम खड़ा करने की कोशिश करती हैं। उनके पास पूंजी की कमी तो होती ही है, दक्ष भी नहीं होती हैं। आगे की राह भी कठिन होती है। उन्हें हर कदम पर सहायता की जरूरत होती है। अधिकांश महिलाएं कम पढ़ी-लिखीं होती हैं और जटिल नियमों का पालन करने असमर्थ होती हैं। इन बातों को ध्यान में रखकर आम बजट में कुछ प्रावधान होने चाहिए, जिससे उनकी मुश्किलें आसान हो सकें। उन्हें कृषि कर्ज की तरह बैंकों से सस्ता ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान होना चाहिए। साथ ही इसकी प्रक्रिया भी लचीली होनी चाहिए। महिला उद्यमियों के लिए 50 लाख रुपये तक का ऋण जीएसटी मुक्त होना चाहिए। कौशल विकास पर सरकार का ध्यान है, मगर यह सर्टिफिकेट लेने तक ही सीमित दिखाई देता है। व्यावहारिक प्रशिक्षण के बिना यह हकीकत रूप नहीं ले सकता है। स्थानीय यूनिटों से खरीदारी के लिए नियम बनाए गए हैं लेकिन अभी इन्हें और सरल करने की जरूरत है।
जनक किशोरी, उद्यमी
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कौशल विकास के लिए हो अलग व्यवस्था
महिलाओं के कौशल विकास के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए। बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां कृषि उत्पाद बनाना आसान है। महिलाएं इस श्रेणी में काम भी कर रही हैं। पापड़, बड़ी, अचार, नमकीन सहित अनेकों उत्पाद बना रही हैं। उनके उत्पादों की पैकेजिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए ऐसी सुविधा होनी चाहिए, जहां महिलाएं अपने हस्त निर्मित उत्पादों की पैकेजिंग कर सकें। खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े उत्पाद बनाने के लिए वे घरेलू तरीके का उपयोग करती हैं। उनके लिए विशेष प्रशिक्षण का भी इंतजाम करना चाहिए। इससे वे आधुनिक तरीके से उत्पादों को बना सकेंगी। विपणन के लिए अभी स्थानीय तौर पर 20 फीसद उत्पादों की खरीदारी का प्रावधान है। लेकिन इसके नियम जटिल हैं। महिलाएं इस दायरे में नहीं आ पा रहीं हैं। आम बजट में इसके लिए भी प्रावधान किए जाने चाहिए।
मधुलिका, उद्यमी
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स्टार्टअप श्रेणी की महिलाओं को भी मिले सब्सिडी
महिला उद्यमियों को बिजनेस के क्षेत्र में उतरने में अभी ऋण के साथ ही कई तरह की परेशानी है। उन्हें आसानी से ऋण नहीं मिलता। बैंक की दौड़ लगाने में ही परेशान हो जाती हैं। स्टार्टअप श्रेणी की महिलाओं को तो और परेशानी है। उन्हें लोन तो नहीं ही मिलता, सब्सिडी की भी व्यवस्था नहीं है। मैं वित्त मंत्री से मांग करना चाहूंगी कि स्टार्टअप श्रेणी की भी महिलाओं को सब्सिडी का प्रावधान करना चाहिए।
स्वाति तिवारी, उद्यमी
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महिलाओं को उद्यम की राह दिखाए सरकार
महिलाएं अभी भी ठीक ढंग से उत्पादन, विपणन आदि को समझ नहीं पा रही हैं। इसके मूल में कौशल विकास है। अगर उनका कौशल विकास ठीक ढंग से किया जाए तो उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। शुरुआती दौर में उन्हें कई तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। बड़े कारोबारियों को बैंक सहयोग करते हैं लेकिन नए कारोबारी को बिल्कुल नहीं। इसके लिए आम बजट में प्रावधान हो, जिससे महिलाओं का कौशल विकास के साथ आसान ऋण मिले। इसके आगे भी उन्हें उत्पादन, पैकेजिंग, डिजाइनिंग, टैक्सेशन, बिलिंग जैसी प्रक्रियाओं की जानकारी देने के लिए केंद्र बनाना चाहिए, जहां वे अपनी समस्याओं का निदान कर सकें।
कृति तिवारी, उद्यमी
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