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बिहार: तबादले में महिला और दिव्यांग शिक्षकों को मिलेगी प्राथमिकता

बिहार के राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालय के शिक्षक पूरे सेवाकाल में दो बार एच्छिक तबादला ले सकेंगे। महिला और दिव्‍यांग शिक्षकों को तबादले में प्राथमिकता दी जायेगी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 23 Mar 2018 03:52 PM (IST)Updated: Fri, 23 Mar 2018 10:56 PM (IST)
बिहार: तबादले में महिला और दिव्यांग शिक्षकों को मिलेगी प्राथमिकता
बिहार: तबादले में महिला और दिव्यांग शिक्षकों को मिलेगी प्राथमिकता

पटना [राज्य ब्यूरो]। सरकार ने राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, स्नातक शिक्षक, सहायक शिक्षक एवं शिक्षिकाओं की नई तबादला एवं अनुशासनिक कार्रवाई नियमावली को मंजूरी दे दी है। नियमावली के प्रावधान के मुताबिक जिलास्तर पर ऐच्छिक तबादले में महिलाओं और दिव्यांगों को प्राथमिकता दी जाएगी। शिक्षक सेवाकाल में सिर्फ दो बार तबादले की सुविधा ले सकेंगे। इन तबादलों के बीच कम से कम चार साल का अंतर आवश्यक होगा।

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प्रधानाध्यापक, शिक्षक की वजह से स्कूल के अनुशासन और शैक्षणिक वातावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता होगा तो ऐसी स्थिति में तो सरकार जब चाहे संबंधित शिक्षक, प्रधानाध्यापक का तबादला भी कर सकेगी। शिक्षा विभाग ने आज इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।

तबादला सिर्फ मूल कोटि शिक्षकों का

जिला स्तर पर प्रारंभिक और मध्य विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक यदि जिलास्तर पर अपना तबादला चाहेंगे तो उन्हें जिला शिक्षा पदाधिकारी को आवेदन करना होगा। तबादले के लिए एक से अधिक आवेदन प्राप्त होते हैं तो इनमें से जो सीनियर होगा उसे लाभ दिया जाएगा। दिव्यांग या महिला शिक्षक के आवेदन होंगे तो उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार ने आदेश में साफ किया है कि अंतर जिला ऐच्छिक तबादला सिर्फ मूल कोटि के शिक्षकों का ही हो सकेगा। शिक्षक सेवाकाल में सिर्फ दो बार तबादले की सुविधा ले सकेंगे।

वरीयता हो सकती है प्रभावित

तबादला होने पर संबंधित शिक्षक की वरीयता नए जिला संवर्ग में उनकी नियुक्ति वर्ष में उस जिले के नियुक्त शिक्षकों से नीचे मानी जाएगी। दंड के जो प्रावधान किए गए हैं उसके मुताबिक जिला संवर्ग के शिक्षकों पर अनुशासनिक कार्रवाई बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2005 के प्रावधानों के अधीन की जाएगी।

अप्रशिक्षित को प्रोन्नति नहीं

नियमावली में प्रोन्नति के जो मानक तय किए गए हैं उसके मुताबिक अप्रशिक्षित शिक्षक किसी भी कोटि में प्रोन्नति के पात्र नहीं होंगे। अप्रशिक्षित शिक्षक की वरीयता मूल कोटि में तब मानी जाएगी जिस तिथि से शिक्षकों को प्रशिक्षित का वेतनमान दिया जाएगा। प्रोन्नति के लिए वरीयता सूची हर साल 31 दिसंबर के आधार पर तैयार की जाएगी। मैट्रिक, इंटर प्रशिक्षित शिक्षकों से स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों में विज्ञान, कला शिक्षकों की सूची अलग अलग बनाई जाएगी।

वरीयता निर्धारण के कई मानक

वरीयता निर्धारण के जो मानक तय हुए हैं उसके तहत प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति के लिए वरीयता स्नातक वेतनमान में कार्यरत स्नातकोत्तर योग्यताधारी शिक्षकों के बीच से तैयार की जाएगी। एक ही कोटि में पारस्परिक वरीयता, कोटि प्राप्त करने की तिथि को माना जाएगा। कोटि प्राप्त करने की तिथि समान होने पर जन्म तिथि को आधार माना जाएगा। जन्म तिथि भी समान हुई तो ऐसी स्थिति में नाम के रोमन लिपि में नाम के पहले अक्षर पर वरीयता निर्धारित होगी।

ट्रांसफर, प्रोमोशन के लिए बनेगी समिति

शिक्षकों के तबादले और प्रोन्नति के लिए जिलास्तर पर स्थापना समिति का गठन होगा। जिला शिक्षा पदाधिकारी समिति के अध्यक्ष होंगे। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना इसके सदस्य सचिव होंगे। डीएम द्वारा मनोनीत वरीय उपसमाहर्ता, महिला पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी योजना एवं लेखा एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति के  एक पदाधिकारी इसके सदस्य होंगे।


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