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गांव की गलियों से निकल PM मोदी के सपने को साकार कर रहीं अनीता, दुनिया बोली- 'भई वाह'

बिहार की अनीता की संघर्ष गाथा को यूनेस्‍को ने साझा किया है। उसे पूरी दुनिया पढ़ रही है। अनीता किस तरह पीएम मोदी के सपने को साकार कर रहीं हैं और क्‍या है उनका संघर्ष जानिए यहां।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 07:23 AM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 10:14 PM (IST)
गांव की गलियों से निकल PM मोदी के सपने को साकार कर रहीं अनीता, दुनिया बोली- 'भई वाह'
गांव की गलियों से निकल PM मोदी के सपने को साकार कर रहीं अनीता, दुनिया बोली- 'भई वाह'

पटना [नीरज कुमार]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की कौशल विकास योजना लोगों को गुमनामी के अंधेरे से निकाल संबल प्रदान कर रही है। अब यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (UNESCO) भी उन्हें रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। अब उनके संघर्ष की गाथा पढ़कर दुनिया वाह-वाह कर रही है।

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पति की मौत के बाद जीवन हुआ मुश्किल

पटना जिले के नौबतपुर की अनीता की शादी 2012 में हुई । तब वे इंटर की पढ़ाई कर रहीं थीं। शादी की पांचवीं सालगिरह के पहले ही पति को ब्रेन हेमरेज हो गया। इलाज में काफी पैसे खर्च होने के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। अब दो बच्चों के साथ अनीता का गुजारा मुश्किल हो गया था। उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी। जब तानों के कारण ससुराल में रहना मुश्किल होने लगा तो माता-पिता घर ले आए। इलाज कराया।

अपने पैरों पर खड़ा होने का लिया निर्णय

अनीता ने माता-पिता के सहयोग से अपने पैरों पर खड़े होने का निर्णय लिया। माता-पिता को पटना में आइसीआइसीआइ एकेडमी फॉर स्किल्स का पता चला। यहां सेल्स एवं मार्केटिंग का मुफ्त प्रशिक्षण मिलता है। परिजनों ने वहां उनका नामांकन करा दिया। वहां 72 दिनों के प्रशिक्षण के दौरान अनीता ने पूरी लगन से कड़ी मेहनत की। 

स्वावलंबी बन दूसरों को भी दिखा रहीं राह

प्रशिक्षण के दौरान उन्हेंस अंग्रेजी में बात करने, कस्टमर डीलिंग, प्रोडक्ट, टॉप टेन टेबल आदि की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें  रिलायंस ट्रेंड में जॉब भी मिल गया। फिर तो उन्होंीने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब वे समाज कल्याण विभाग में पर्यवेक्षिका है तथा खुद महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का जिम्मा उठा रहीं हैं।

यूनेस्को ने प्रकाशित की संघर्ष से कहानी

अनीता की सफलता की कहानी राष्ट्रीय कौशल विकास निगम तक पहुंची। निगम ने उनकी कहानी को चयनित कर यूनेस्को भेजा। यूनेस्को ने संघर्ष से मिली उनकी सफलता की कहानी को अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रकाशित किया है। दुनियाभर के लोग इसे पढ़कर प्रेरित हो रहे हैं।

कहा: नहीं मानें हार, आगे जरूर मिलगी राह

अनीता इस उपलब्धि पर खुशी जताती हैं। वे महिलाओं को संघर्ष के आगे घुटने नहीं टेकने की सलाह देतीं हैं। कहतीं हैं कि हार के आगे जीत होती है। जरूरत है तो केवल धैर्य व साहस के साथ सही दिशा में कर्म करते रहने की।


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