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RTI कार्यकर्ताओं के लिए काल बन चुका है बिहार, छह महीने में चार की हत्या

बिहार में सूचना का अधिकार कानून अब आरटीआइ कार्यकर्ताओं की हत्या की वजह बनता जा रहा है। छह महीने के भीतर चार आरटीआइ कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 02:56 PM (IST)Updated: Sat, 07 Jul 2018 07:12 PM (IST)
RTI  कार्यकर्ताओं के लिए काल बन चुका है बिहार, छह महीने में चार की हत्या
RTI कार्यकर्ताओं के लिए काल बन चुका है बिहार, छह महीने में चार की हत्या

पटना [राज्य ब्यूरो]। वर्ष 2005 में देशभर में लागू किए गए सूचना का अधिकार कानून अब आरटीआइ कार्यकर्ताओं की जान पर बन आई है। पिछले 13 वर्षों में बिहार में एक-दो नहीं बल्कि कुल 14 आरटीआइ कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है। आश्चर्य तो यह है कि इनमें चार आरटीआइ कार्यकर्ताओं को मौजूदा वर्ष के पहले ही छह महीनों में मौत के घाट उतार दिया गया है।

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आरटीआइ कार्यकर्ताओं का संगठन नागरिक अधिकार मंच ने डीजीपी केएस द्विवेदी को एक ज्ञापन सौंपकर राज्य में सूचना का अधिकार कानून का इस्तेमाल करने वाले आरटीआइ कार्यकर्ताओं की जानमाल की सुरक्षा व मारे गए कार्यकर्ताओं के हत्यारों की गिरफ्तारी की भी गुहार लगाई है।

मंच के संयोजक शिवप्रकाश राय ने बताया कि पिछले 13 वर्षों में मौत के घाट उतारे गए 14 आरटीआइ कार्यकर्ताओं के हत्यारों को अबतक गिरफ्तार तक नहीं किया जा सका है। इसका हश्र यह है कि सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार को छुपाने वाले अधिकारी आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध कराने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।

इतना ही नहीं, राज्य का शायद ही कोई जिला हो जहां सूचना का अधिकार कानून को भ्रष्टाचार के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करने वाले आरटीआइ कार्यकर्ताओं को स्थानीय प्रशासन के सहयोग से झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल न भेजा गया हो। उन्होंने कहा कि इस साल की शुरुआत में ही सहरसा के युवा आरटीआइ कार्यकर्ता राहुल झा को मौत के घाट उतार दिया गया।

उसके बाद वैशाली के गोरौल के रहने वाले एक युवा आरटीआइ कार्यकर्ता जयंत कुमार ,  मोतिहारी के संग्रामपुर निवासी राजेंद्र प्रसाद सिंह को और पिछले दिनों जमुई के सिकंदरा के रहने वाले बाल्मिकी यादव उर्फ धर्मेंद्र यादव को मौत के घाट उतार दिया गया।

इसका असर सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करने वाले लोगों के मनोबल पर तो पड़ ही रहा है, दूसरी तरफ भ्रष्ट लोकसेवकों और भ्रष्टाचार में शामिल स्थानीय जनप्रतिनिधियों का मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है।

पिछले 13 वर्षों में मारे गए आरटीआइ कार्यकर्ताओं की सूची-

क्रम       नाम              जिला             वर्ष

1.     शशिधर मिश्रा           बेगूसराय           2010

2.    रामविलास सिंह          लखीसराय         2011

3.   डॉ. मुरलीधर जायसवाल  हवेली खडग़पुर    2012

4.    राहुल कुमार               मुजफ्फरपुर       2012

5.    राजेश यादव              भागलपुर          2012

6.   रामकुमार ठाकुर          मुजफ्फरपुर         2013

7.   सुरेंद्र शर्मा              मसौढ़ी, पटना        2015

8.   गोपाल प्रसाद             बक्सर              2015

9.   गोपाल तिवारी          गोपालगंज            2016

10.  मृत्युंजय सिंह          भोजपुर                2017

11.  राहुल झा              सहरसा                 2018

12.  जयंत कुमार           वैशाली                 2018

13.  राजेंद्र प्रसाद सिंह      मोतिहारी               2018

14.  बाल्मिकी यादव        जमुई                   2018


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