Move to Jagran APP

बिहार में अधिकारी और कर्मचारी विभागीय कार्रवाई से क्यों डरें? जब जांच में ही लग जाते हैं 10 साल

अंचल स्तर के अधिकारी और कर्मचारी विभाग की कार्रवाई से क्यों डरें? मुश्किल से उनके खिलाफ शिकायत दर्ज होती है। दर्ज हो भी जाए तो कार्यवाही शुरू होने में वर्षों लग जाते हैं। जाहिर है सजा में इससे भी अधिक वक्त लगता है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 05:57 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 05:57 PM (IST)
बिहार में अधिकारी और कर्मचारी विभागीय कार्रवाई से क्यों डरें? जब जांच में ही लग जाते हैं 10 साल
बिहार में अधिकारी और कर्मचारी की विभागीय कार्रवाई में दस-दस साल लग जाते हैं। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: राजस्व विभाग के अंचल स्तर के अधिकारी और कर्मचारी विभाग की कार्रवाई से क्यों डरें? मुश्किल से उनके खिलाफ शिकायत दर्ज होती है। दर्ज हो भी जाए तो कार्यवाही शुरू होने में वर्षों लग जाते हैं। जाहिर है, सजा में इससे भी अधिक वक्त लगता है। किसी-किसी मामले में तो शिकायत दर्ज होने और सजा तय करने के बीच 10 साल तक का वक्त गुजर जाता है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय कहते हैं-जांच के मामले में समय सीमा का निर्धारण किया जाना जरूरी है।

loksabha election banner

दरभंगा जिला के बिरौल के तत्कालीन सीओ सूरज कांत के खिलाफ अतिक्रमण का एक मामला 2012 में दर्ज हुआ। अभी तक कारण बताओ नोटिस पर सवाल-जवाब चल रहा था। सूरज कांत सीओ के पद पर बने हुए हैं। नौ साल बाद विभागीय कार्यवाही शुरू हुई है। वे दोषी हैं या बेकसूर यह तय होने में साल दो-चार साल और लग सकते हैं। इसी विभाग के एक अधिकारी प्रदीप कुमार सिन्हा पर 2010 में आरोप लगा। आरोप यह कि लगान रसीद काटने में टाल मटोल करते हैं। जमाबंदी फाड़ कर फेंक देते हैं। शाश्वत आरोप यह भी कि मालगुजारी रसीद काटने के समय नाजायज रकम की मांग करते हैं। आरोप लगने के समय वे पटना जिला के खुसरूपुर अंचल में तैनात थे। पूरे 10 साल कागजी प्रक्रिया चली। छह साल बाद जिलाधिकारी की रिपोर्ट आई। उसमें उन्हें दोषी पाया गया। चार साल और जांच हुई। पिछले साल उन्हें सेवा से हटा दिया गया।

पांचवें साल में सजा- एक वेतन वृद्धि पर रोक

दरभंगा के घनश्यामपुर अंचल के तत्कालीन सीओ रम्भू ठाकुर के खिलाफ 2018 में एक शिकायत आई। तीन साल बाद उनकी दो वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई। किशनपुर के तत्कालीन सीओ अजित कुमार लाल के खिलाफ सुपौल के तत्कालीन डीएम ने 25 जुलाई 2018 को आरोप पत्र भेजा था। पिछले साल जून में विभागीय कार्यवाही के लिए कमिटी गठित की गई। मुजफ्फरपुर, मुशहरी के तत्कालीन सीओ नवीन भूषण के खिलाफ पांच साल तक जांच चली। पांचवे साल में सजा तय हुई-एक वेतन वृद्धि पर रोक। 

समय-सीमा निर्धारित करेंगे

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि यह विषय मेरे सामने आया है। हम कोशिश करेंगे कि कोई ऐसी तकनीक विकसित हो, जिसमें कार्रवाई की शुरुआती जांच के समय ही समय निर्धारित कर दिया जाए। देरी से दोनों पक्षों-शिकायत कर्ता सरकारी सेवक-दोनों को परेशानी होती है। जल्द ही विभाग में कोई निर्णय लिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.