इस बच्चे के सांस लेने से निकलती थी सीटी की आवाज, डॉक्टरों ने मुश्किल से बचाई जान
Patna News आठ वर्षीय बच्चे की सांस की नली में सीटी अटक गई थी । स्वजन काफी परेशान थे। डॉक्टरों ने बिना चीरा लगाए ब्रोंकोस्कोपिक विधि से सफलता पूर्वक इसका ऑपरेशन किया । आइजीआइएमएस के शिशु सर्जरी विभाग में सफल ऑपरेशन हुआ ।
पटना, जेएनएन। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IGIMS) के डॉक्टरों ने 29 अक्टूबर , गुरुवार को एक बच्चे की जान (saved life of a child ) बचाई। भागलपुर (Bhagalpur) के आठ वर्षीय बच्चा ने नाक में सीटी (whistle) फंसा लिया था। इसके बाद उसके सांस लेने पर नली से सिटी की आवाज आती थी। साथ ही उसे सांस लेने में भी परेशानी हो रही थीं। बच्चे के साथ पूरे घरवाले बेहद परेशान थे। कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी सीटी नहीं निकाला जा सका तो इसके बाद भागलपुर से बच्चे को लेकर स्वजन आइजीआइएमएस के पीडियाट्रीक विभाग में पहुंचे ।
सात डॉक्टराें ने किया ऑपरेशन
सर्जरी विभाग के डॉ रामधनी यादव के ओपीडी में पहुंचे। उसके माता-पिता ने भूलवश सीटी निगलने की बात कहीं। सबसे पहले बच्चे की कोरोना जांच की गई । इसके बाद बिना चीरा के ब्रोंकोस्कोपी विधि (Bronchoscopic system) के माध्यम से सांस की नली से सीटी को निकाला गया। इस ऑपरेशन में प्रो. विजयेंद्र कुमार की देखरेख में डॉ. रामधनी यादव, डॉ. संदीप कुमार राहुल, डॉ. रामजी प्रसाद, डॉ. विनीत ठाकुर, डॉ. जहीर, डॉ. दिगंबर आदि ने एक घंटे की मेहनत के बाद बच्चे को बेहोश कर सीटी को नाक से बाहर निकाला।
बच्चों को खेलते समय नजर रखने की जरूरत
आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि कोरोना काल में बच्चे सिर्फ घर पर ही रह रहे हैं। खेल-कूद के लिए कुछ भी करते हैं। बच्चों के खेलने-कूदने पर नजर रखने की जरूरत है। खेल-खेल में बच्चे सीटी, पिन, सिक्का, झुमका, अंगुठी आदि गलती से निगल लेते हैं। इसके कारण सभी परेशानी में पड़ जाते है। संस्थान में छोटे बच्चों के लिए दूरबीन विधि द्वारा बिना चीरा लगााएं ऑपरेशन की सुविधा होने से आसानी से सीटी निकाला जा सका। सफलतापूर्वक ऑपरेशन पर निदेशक डॉ. एनआर विश्वास ने पूरी टीम को बधाई दी है।